महाकुंभ 2025 के आयोजन में इस बार देश-विदेश से आने वाले करोड़ों श्रद्धालु भारतीय संस्कृति की दिव्यता और अलौकिकता के दर्शन करेंगे। उत्तर प्रदेश सरकार के विशेष निर्देश पर प्रयागराज के 26 प्रमुख चौराहों को सजाने और संवारने का कार्य तेजी से चल रहा है। इन चौराहों पर पौराणिक महत्व की 26 नक्काशीदार मूर्तियां स्थापित की जा रही हैं। इनमें अर्जुन, गरुड़, नंदी, ऐरावत, मां गंगा और श्रवण कुमार जैसी मूर्तियां शामिल हैं। ये मूर्तियां महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनेंगी।
योगी सरकार की विशेष योजना
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप इस बार का महाकुंभ दिव्य, नव्य और भव्य बनाने की तैयारी हो रही है। भारतीय संस्कृति के पौराणिक पात्रों की मूर्तियों के माध्यम से प्रयागराज के विभिन्न चौराहों को सजाया जा रहा है। इस योजना के तहत डीपीएस चौराहे पर अर्जुन की मूर्ति, एयरपोर्ट चौराहे पर नंदी की प्रतिमा और हर्षवर्धन चौराहे पर मां गंगा नाव पर आरती करती हुई दिखेंगी। वहीं, फाफामऊ में गदा और नैनी चौकी चौराहे पर श्रवण कुमार की मूर्ति बनाई जा रही है।
6 चौराहों पर काम पूरा, एक सप्ताह में लक्ष्य पूरा करने की तैयारी
महाकुंभ की तैयारी में 6 चौराहों पर मूर्तियों का कार्य पूरा हो चुका है। प्रशासन ने बाकी 20 चौराहों का कार्य एक सप्ताह के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इस योजना में विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि श्रद्धालुओं को हर चौराहे पर भारतीय संस्कृति की झलक मिल सके।
वैज्ञानिक ट्रैफिक मैनेजमेंट की व्यवस्था
महाकुंभ में करीब 45 करोड़ श्रद्धालुओं के प्रयागराज पहुंचने की उम्मीद है। इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आवागमन को सुगम बनाने के लिए वैज्ञानिक ट्रैफिक मैनेजमेंट पर काम किया जा रहा है। चौराहों पर ट्रैफिक संचालन की व्यवस्था को सुनिश्चित करते हुए श्रद्धालुओं की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जा रहा है।
सांस्कृतिक और पर्यावरणीय विविधता का संगम
महाकुंभ के दौरान प्रयागराज को सांस्कृतिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी विशेष रूप से संवारा जा रहा है। हर चौराहे पर हॉर्टिकल्चर और ग्रीन बेल्ट का विकास किया जा रहा है। यह पहल न केवल सौंदर्य को बढ़ावा देगी बल्कि पर्यावरणीय जागरूकता का संदेश भी देगी।
श्रद्धालुओं के स्वागत की भव्य तैयारी
प्रयागराज में हर चौराहा श्रद्धालुओं का पौराणिक महत्व के प्रतीकों के साथ स्वागत करेगा। अर्जुन, गरुड़, नंदी, ऐरावत और श्रवण कुमार जैसी मूर्तियां न केवल भारतीय संस्कृति की धरोहर का प्रतीक होंगी बल्कि श्रद्धालुओं के मन में आस्था और गौरव का भाव भी जागृत करेंगी।
महाकुंभ 2025 का यह विशेष आयोजन भारतीय संस्कृति के विविध रंगों को प्रदर्शित करेगा और देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव साबित होगा।