
आध्यात्म और राष्ट्रभक्ति का दिखा संगम
वाराणसी। विश्व प्रसिद्ध देव दीपावली महोत्सव का भव्य आयोजन इस वर्ष भी दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि के तत्वावधान में अद्भुत और आध्यात्मिक माहौल में सम्पन्न हुआ। इस बार का आयोजन राष्ट्रभक्ति और आध्यात्मिकता के साथ “ऑपरेशन सिंदूर” को समर्पित रहा, जिसने देश के अमर बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने के साथ-साथ “स्वच्छ गंगा” के संकल्प को भी पुनः प्रज्ज्वलित किया।
ऑपरेशन सिंदूर को समर्पित रही मां गंगा की महाआरती, 51 हजार दीपों की आभा से जगमगाया दशाश्वमेध घाट, आध्यात्म और राष्ट्रभक्ति का दिखा संगम इस अवसर पर दशाश्वमेध घाट और आस-पास के घाटों को 51 हजार दीपों और 21 कुंतल फूल-मालाओं से सजाया गया। घाट का हर कोना आलोकित था, जहां श्रद्धालु भक्ति और देशप्रेम की भावना से सराबोर होकर मां गंगा की महाआरती में शामिल हुए। 20 फीट ऊंची अमर जवान ज्योति की अनुकृति इस आयोजन का मुख्य आकर्षण रही, जो देशभक्ति और बलिदान की प्रतीक बनकर श्रद्धालुओं को प्रेरित कर रही थी। ऑपरेशन सिंदूर को समर्पित रही मां गंगा की महाआरती, 51 हजार दीपों की आभा से जगमगाया दशाश्वमेध घाट, आध्यात्म और राष्ट्रभक्ति का दिखा संगम 21 अर्चकों और 42 देवकन्याओं ने किया मां गंगा का वैदिक पूजन देव दीपावली महोत्सव की शुरुआत परंपरागत वैदिक विधि से हुई। गंगा सेवा निधि के 21 अर्चकों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मां गंगा की आराधना की, जबकि दुर्गा चरण इंटर कॉलेज की 42 देव कन्याओं ने रिद्धि-सिद्धि का रूप धारण कर आरती में सहभागिता की। आरती का संचालन श्री राम जनम योगी द्वारा किया गया, जिन्होंने 4 मिनट 21 सेकंड तक शंखनाद कर सम्पूर्ण दशाश्वमेध घाट को भक्ति और श्रद्धा के माहौल में डूबो दिया। ऑपरेशन सिंदूर को समर्पित रही मां गंगा की महाआरती, 51 हजार दीपों की आभा से जगमगाया दशाश्वमेध घाट, आध्यात्म और राष्ट्रभक्ति का दिखा संगमऑपरेशन सिंदूर को समर्पित रही मां गंगा की महाआरती, 51 हजार दीपों की आभा से जगमगाया दशाश्वमेध घाट, आध्यात्म और राष्ट्रभक्ति का दिखा संगम
इस दौरान श्री काशी विश्वनाथ डमरू दल के 10 स्वयंसेवकों ने अपने पारंपरिक वाद्य के साथ आरती में विशेष योगदान दिया। जैसे ही दीप प्रज्वलित हुए, घाटों का हर कोना स्वर्णिम आभा से जगमगा उठा — मानो काशी के आकाश में स्वयं देवता उतर आए हों। ऑपरेशन सिंदूर को समर्पित रही मां गंगा की महाआरती, 51 हजार दीपों की आभा से जगमगाया दशाश्वमेध घाट, आध्यात्म और राष्ट्रभक्ति का दिखा संगम स्वच्छ गंगा, निर्मल गंगा का संदेश महोत्सव के दौरान गंगा सेवा निधि ने वर्षों से चली आ रही पहल “एक संकल्प गंगा किनारे” के तहत देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालुओं को गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाए रखने का संकल्प दिलाया। गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र ने सभी से अपील की कि “मां गंगा की स्वच्छता केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर श्रद्धालु और नागरिक का नैतिक कर्तव्य है।”
संस्था ने गंगा सेवा निधि परिवार के माध्यम से सभी से गंगा को निर्मल रखने में सहयोग करने का आह्वान किया। ऑपरेशन सिंदूर को समर्पित रही मां गंगा की महाआरती, 51 हजार दीपों की आभा से जगमगाया दशाश्वमेध घाट, आध्यात्म और राष्ट्रभक्ति का दिखा संगम अमर वीरों को श्रद्धांजलि और ‘भगीरथ शौर्य सम्मान’ इस बार देव दीपावली महोत्सव का सबसे भावनात्मक क्षण वह रहा जब अमर जवानों की याद में श्रद्धांजलि दी गई। दशाश्वमेध घाट पर 20 फीट ऊंची अमर जवान ज्योति की अनुकृति के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित की गई।
गंगा सेवा निधि की ओर से ट्रस्टी एवं कोषाध्यक्ष आशीष कुमार तिवारी ने सबसे पहले अमर बलिदानियों की स्मृति में रिथलेइंग (पुष्प चक्र अर्पण) किया। इसके पश्चात आरपीएफ इंस्पेक्टर भुनेश्वरी (एनईआर, वाराणसी सिटी), एनडीआरएफ वाराणसी के द्वितीय कमान अधिकारी संतोष कुमार, सीआईएसएफ कमांडेंट सुचिता सिंह, सीआरपीएफ 95वीं बटालियन के कमांडेंट राजेश्वर बालापुरकर, एयर कमाडोर कुणाल काला (एयर ऑफिसर कमांडिंग, 4 वायुसेना प्रवर्तन बोर्ड, वाराणसी) तथा ब्रिगेडियर जयदीप चंदा (कमांडेंट, 39 जीटीसी, वाराणसी) ने भी पुष्पचक्र अर्पित किया। इसके बाद 39 जीटीसी के बैंड ने लास्ट पोस्ट और गार्ड ऑफ ऑनर की प्रस्तुति दी, जिसने पूरे घाट को देशभक्ति के जज्बे से भर दिया। देव दीपावली की पूर्णिमा की रात अमरवीर योद्धाओं की स्मृति में आकाश दीप प्रज्ज्वलित किए गए।
ऑपरेशन सिंदूर को समर्पित रही मां गंगा की महाआरती, 51 हजार दीपों की आभा से जगमगाया दशाश्वमेध घाट, आध्यात्म और राष्ट्रभक्ति का दिखा संगम इस अवसर पर देश के वीर शहीदों की पत्नियों आरपीएफ के अमर बलिदानी हेड कॉन्स्टेबल वजीउल्लाह की पत्नी शबाना बेगम, अमर बलिदानी राम बहादुर सिंह की पत्नी गरिमा सिंह,
सीआरपीएफ के अरविंद कुमार यादव की पत्नी अर्चना देवी, अमर बलिदानी सुनील कुमार पांडेय की पत्नी अर्चना पांडेय, एनडीआरएफ के रितेश कुमार सिंह की पत्नी आशा सिंह, अमर बलिदानी इंद्रभूषण सिंह की पत्नी शिखा सिंह को भगीरथ शौर्य सम्मान प्रदान किया गया। गंगा सेवा निधि द्वारा इन सभी वीर पत्नियों को सम्मान स्वरूप एक-एक लाख रुपये का चेक भेंट किया गया, जिससे पूरे कार्यक्रम में भावनात्मक माहौल बन गया। ऑपरेशन सिंदूर को समर्पित रही मां गंगा की महाआरती, 51 हजार दीपों की आभा से जगमगाया दशाश्वमेध घाट, आध्यात्म और राष्ट्रभक्ति का दिखा संगम सांस्कृतिक कार्यक्रमों से गूंजा घाट
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रख्यात गायिका डॉ. रेवती साकलकर एवं उनके सहयोगी तबला वादक द्वारा भजन-संगीत और राष्ट्रगीत की प्रस्तुति से हुआ। इसके पश्चात बनारस घराने के प्रसिद्ध कलाकार माता प्रसाद मिश्र और उनकी टीम ने मां गंगा स्तुति और शिव तांडव स्तोत्र की भव्य प्रस्तुति देकर वातावरण को दिव्यता से भर दिया। इस अवसर पर देशभर से कई संत-महात्मा और गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे, जिनमें स्वामी पूर्णन्या नंद जी महाराज, स्वामी विरानंद जी महाराज, स्वामी महात्मा नंद जी महाराज (भारत सेवा श्रम संघ, वाराणसी व प्रयागराज), ब्रिगेडियर जयदीप चंदा (39 जीटीसी), एयर कमाडोर कुणाल काला (4 वायुसेना प्रवर्तन बोर्ड), कमांडेंट राजेश्वर बालापुरकर (95वीं बटालियन, सीआरपीएफ), कमांडेंट सुचिता सिंह (सीआईएसएफ, वाराणसी), आईजी अनिल मिश्र (सीआरपीएफ, वाराणसी), द्वितीय कमान अधिकारी संतोष कुमार (11वीं वाहिनी, एनडीआरएफ), इंस्पेक्टर भुनेश्वरी (आरपीएफ, एनईआर, वाराणसी सिटी), बीजेपी से महेशचंद्र श्रीवास्तव, आदित्य बिड़ला ग्रुप से जयश्री मेहता, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड, रेनुकूट, सोनभद्र से जसबीर सिंह प्रमुख रूप से शामिल रहे। ऑपरेशन सिंदूर को समर्पित रही मां गंगा की महाआरती, 51 हजार दीपों की आभा से जगमगाया दशाश्वमेध घाट, आध्यात्म और राष्ट्रभक्ति का दिखा संगम गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र ने सभी अतिथियों, श्रद्धालुओं और सहयोगियों का स्वागत भाषण देते हुए कहा कि “देव दीपावली केवल दीपों का पर्व नहीं, बल्कि यह हमारे देश की सांस्कृतिक आत्मा और राष्ट्रभक्ति की चेतना का प्रतीक है।”
ऑपरेशन सिंदूर को समर्पित रही मां गंगा की महाआरती, 51 हजार दीपों की आभा से जगमगाया दशाश्वमेध घाट, आध्यात्म और राष्ट्रभक्ति का दिखा संगम गंगा सेवा निधि के प्रमुख पदाधिकारी और सदस्य
महोत्सव की सफलता में गंगा सेवा निधि के कई सदस्य और पदाधिकारियों सुशांत मिश्र (अध्यक्ष), श्याम लाल सिंह, इंदुशेखर शर्मा, सुरजीत सिंह, आशीष तिवारी, प्रेम मिश्रा, हनुमान यादव, पंकज अग्रवाल, विनोद श्रीवास्तव, सिद्धार्थ श्रीवास्तव, अरुण अग्रवाल, डॉ. रजत सिंह, अंजनी कुमार पांडेय, अमिताभ भट्टाचार्य और अवनी कुमार धर का विशेष योगदान रहा।
