Jagannath Rath Yatra 2024: ओडिश के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ जी का मंदिर हिंदुओं के चार धाम में से एक है और यहां जगन्नाथ जी के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी लाइनें लगी रहती हैं। विशेष तौर पर जब जगन्नाथ यात्रा निकाली जाती है तो उसमें शामिल होने और उस पवित्र यात्रा का हिस्सा बनने के लिए देश-विदेश से भक्त पुरी पहुंचते हैं। यह यात्रा हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन निकाली जाती है। पंचांग के अनुसार इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा 7 जुलाई 2024 को निकाली जाएगी।
बीमार हो जाते हैं भगवान जगन्नाथ
जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान भगवान कृष्ण, उनके भाई बलदेव और बहन सुभद्रा को नगर में घुमाया जाता है। इस यात्रा से जुड़ी कई ऐसी परंपराए हैं जो कि प्राचीन काल से निभाई जा रही हैं और आज भी इन परंपराओं को पूरी श्रद्धा के साथ निभाया जाता है। जगन्नाथ रथ यात्रा से पहले भगवान जगन्नाथ को 15 दिनों के लिए बुखार आ जाता है और यह परंपरा हर साल निभाई जाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर हर साल जगन्नाथ जी को 15 दिनों के लिए बुखार क्यों आ जाता है? आइए जानते हैं इसके पीछे छिपे अनोखे रिवाज के बारे में।
भगवान जगन्नाथ को क्यों आता है बुखार?
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान श्री कृष्ण अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर पुरी गए थे तो उन्होंने वहां स्नान किया। जिसके बाद तीनों भाई-बहन को बीमार हो गए और उन्हें बुखार आ गया। तब उनके इलाज के लिए राज वैद्य को बुलाया गया। राज वैद्य ने उनका इलाज किया और 15 दिनों में तीनों बिल्कुल ठीक हो गए। जिसके बाद वह नगर में भ्रमण के लिए निकले। सबसे खास बात है कि आज भी जगन्नाथ यात्रा शुरू होने से पहले जगन्नाथ जी के बीमार होने की परंपरा को उसी प्रकार निभाया जाता है।
बहुत खास है ये परंपरा
आज भी जगन्नाथ यात्रा शुरु होने से पहले ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि के दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी और सुभद्रा जी को 108 घड़ों के जल से स्नान कराया जाता है, जिसे सहस्त्रधारा स्नान नाम दिया गया है। मान्यता है कि ठंडे पानी से स्नान के बाद तीनों बीमार हो जाते हैं और फिर इन्हें 15 दिनों के लिए एकांतवास में रखा जाता है और इस दौरान मंदिर के कपाट बंद रहते हैं। इस दौरान भगवान को आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां से बनी दवाएं और काढ़ा दिया जाता है। 15 दिन बाद जब भगवान ठीक हो जाते हैं तब उनकी रथ यात्रा निकाली जाती है। इस दौरान हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ भगवान के दर्शन के लिए उमड़ती है।