अलंकारों के दुरुपयोग से साहित्य विकृत हो जाता है: राजीव

वाराणसी (काशीवार्ता)। संस्कृति विभाग व जिला प्रशासन की प्रेरणा से प्रेमचंद मार्गदर्शन केंद्र ट्रस्ट लमही द्वारा प्रेमचंद स्मारक स्थल लमही में आयोजित सुनों मैं प्रेमचंद कहानी पाठ में प्रेमचंद की भाई के जीवन पर आधारित कहानी जुड़वा भाई का पाठन रंगकर्मी व अभिनेता राहुल विश्वकर्मा ने किया।

निदेशक राजीव गोंड ने कहा कि प्रेमचंद की कहानियों में साहित्य कला के सीमित प्रयोग की समर्थकता मिलती है। प्रेमचंद कला को वहीं तक स्वीकार करते थे जहां तक कि वह मनुष्य के लिए उपयोगी हो। प्रेमचंद कहते हैं कि साहित्यिक मनोरंजन वह है जिससे हमारी कोमल और पवित्र भावनाओं को प्रोत्साहन मिले। अलंकारों के दुरुपयोग से साहित्य विकृत हो जाता है। साथ ही प्रेमचंद की कहानियों की सबसे बड़ी विशेषता वस्तुतः मानव चरित्र की व्याख्या है। प्रेमचंद के पहले का हिन्दी साहित्य, कहानी के इस मूल तत्व से सर्वथा अछूता था। प्रेमचंद ने पहली बार चरित्र प्रधान कहानियों को जन्म दिया था।

इस अवसर पर कहकशां नाज, दुर्गाप्रसाद, विवेक विश्वकर्मा, कैशलेश यादव, उत्कर्ष सिंह, अभिषेक सिंह, सुरेश चंद्र दूबे, राहुल यादव, देव बाबू, गोविन्द सिंह सहित अनेकों लोग मौजूद रहे। आये हुए अतिथियों का सम्मान ट्रस्ट के संरक्षक प्रकाश चंद्र श्रीवास्तव (गणेश जी), राजीव श्रीवास्तव आलोक शिवाजी व निदेशक राजीव गोंड ने स्वागत विवेक विश्वकर्मा ने संचालन व धन्यवाद ज्ञापन मनोज विश्वकर्मा ने किया।

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