
महाकुंभ नगर, 14 जनवरी।
महाकुंभ 2025 के पहले अमृत स्नान के पावन अवसर पर किन्नर अखाड़ा श्रद्धालुओं और आगंतुकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की अगुवाई में किन्नर अखाड़े के सभी सदस्यों ने महासंक्रांति के दिन संगम में अमृत स्नान कर समाज के कल्याण और उन्नति की प्रार्थना की।
हर हर महादेव के जयघोष के साथ अद्भुत शोभायात्रा
किन्नर अखाड़े के सदस्य पारंपरिक वेशभूषा में सुसज्जित होकर हर हर महादेव के जयघोष के साथ संगम की ओर बढ़े। आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी छत्र के नीचे शोभायात्रा का नेतृत्व कर रहे थे। उनके साथ अन्य महामंडलेश्वर और सदस्य भी थे। शोभायात्रा में पारंपरिक शस्त्रों का प्रदर्शन किया गया, जिसने श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित किया। तलवारें लहराते हुए और जयघोष करते हुए उन्होंने अमृत स्नान की शुरुआत की।
समाज कल्याण के लिए विशेष प्रार्थना
अमृत स्नान के दौरान किन्नर अखाड़े ने समाज के उत्थान और देशवासियों की सुख-समृद्धि के लिए विशेष प्रार्थना की। अखाड़े की सदस्य राम्या नारायण गिरी ने बताया कि यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह समाज को सकारात्मक संदेश देने का भी एक माध्यम है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ का यह पवित्र पर्व सभी के जीवन में शांति और समृद्धि लेकर आए, यही उनकी प्रार्थना है।
शस्त्र प्रदर्शन और आस्था का उत्साह
किन्नर अखाड़े के सदस्यों ने पारंपरिक शस्त्रों का प्रदर्शन किया, जिसमें तलवारें, भाले, और अन्य शस्त्र शामिल थे। इस प्रदर्शन ने अखाड़े की परंपराओं और शक्ति का अद्भुत परिचय दिया। हर हर महादेव के नारों और शस्त्र प्रदर्शन के बीच पूरा माहौल आस्था और ऊर्जा से भर गया। किन्नर अखाड़े की यह शोभायात्रा महाकुंभ 2025 के मुख्य आकर्षणों में से एक बन गई।
भारतीय संस्कृति का विशेष संदेश
अमृत स्नान के बाद आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि किन्नर अखाड़ा भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक अभिन्न अंग है। उन्होंने यह भी कहा कि समाज के सभी वर्गों का उत्थान और कल्याण भारतीय सभ्यता का मुख्य उद्देश्य है। किन्नर अखाड़े ने महाकुंभ के माध्यम से इस संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया है।
महाकुंभ में किन्नर अखाड़े की भूमिका
महाकुंभ 2025 में किन्नर अखाड़े ने अपनी विशेष उपस्थिति दर्ज कराई। उनके संदेश और प्रदर्शन ने यह स्पष्ट किया कि धर्म, समाज और संस्कृति में सभी का समान योगदान है। किन्नर अखाड़े का यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि यह सामाजिक सद्भाव और समरसता का भी प्रतीक बना।
महाकुंभ 2025 के इस पहले अमृत स्नान में किन्नर अखाड़ा आकर्षण का प्रमुख केंद्र बना। उनकी प्रार्थना, प्रदर्शन, और समाज कल्याण के प्रति समर्पण ने हर वर्ग को प्रेरित किया। इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि भारतीय संस्कृति में हर वर्ग का विशेष महत्व है, और समाज के हर हिस्से का कल्याण ही सच्चा धर्म है।