
करवा चौथ का पर्व, सुहागिनों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है। यह पर्व पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और दांपत्य जीवन में प्रेम को बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और रात को चंद्रमा के दर्शन करके ही व्रत तोड़ती हैं। इस वर्ष करवा चौथ का पर्व रविवार को मनाया जा रहा है।
चंद्रोदय और पूजा का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, चंद्रोदय का समय इस बार रात करीब 8:18 बजे है। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 5:50 से 7:28 तक है। इस समय के दौरान सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और दांपत्य जीवन में सुख-शांति की कामना के साथ पूजा करती हैं। यह पर्व चंद्रमा की पूजा से जुड़ा हुआ है, क्योंकि मान्यता है कि चंद्रमा की पूजा करने से मानसिक शांति और ऊर्जा मिलती है।
करवा चौथ का धार्मिक महत्व
इस पवित्र दिन पर चंद्रमा की पूजा से राशि में चंद्रमा बलवान होता है, जिससे मानसिक स्थिरता और धैर्य बढ़ता है। करवा चौथ पति-पत्नी के बीच विश्वास, प्रेम और आपसी सहयोग को और मजबूत करने का पर्व माना जाता है। इस दिन महिलाएं दिनभर उपवास रखती हैं, जिससे उनके पतियों की आयु लंबी हो और उनके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे।
करवा चौथ की पूजा विधि
करवा चौथ की पूजा की एक विशेष विधि होती है। पूजा की शुरुआत एक चौकी पर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करने से होती है। ये प्रतिमाएं शुद्ध और कच्ची पीली मिट्टी से बनाई जाती हैं और लाल कपड़े पर रखी जाती हैं। ज्योतिषाचार्य अनीता पाराशर बताती हैं कि इस पूजा में चौथ माता और चंद्र देवता की भी विशेष पूजा होती है।
माता पार्वती को लाल चुनरी, सिंदूर, बिंदी और सुहाग से जुड़े सभी सामान अर्पित किए जाते हैं। भगवान शिव और गणेश जी को चंदन, अक्षत, पुष्प और माला अर्पित की जाती है। पूजा के दौरान पूड़ी, लड्डू, मेवा और हलवे का भोग भी चढ़ाया जाता है। करवा चौथ की कथा का पाठ किया जाता है और अंत में आरती की जाती है। पूजा समाप्त होने के बाद महिलाएं घर के बड़े-बुजुर्गों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेती हैं और चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं।
राशि के अनुसार शृंगार
करवा चौथ पर ज्योतिषीय दृष्टिकोण से राशि के अनुसार शृंगार करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। ज्योतिषाचार्य पूनम वार्ष्णेय के अनुसार, इस दिन महिलाएं अपनी राशि के आधार पर विशेष रंग और आभूषण धारण कर सकती हैं, जिससे उन्हें और भी अधिक शुभ फल की प्राप्ति हो।
- मेष और वृश्चिक राशि: इन राशियों की महिलाएं लाल रंग के परिधान पहन सकती हैं, जो ऊर्जा और उत्साह का प्रतीक है।
- वृष और तुला राशि: इन राशियों की महिलाओं के लिए गुलाबी और चमकीले रंगों के वस्त्र धारण करना शुभ होता है।
- मिथुन और कन्या राशि: हरी चूड़ियां, हरी साड़ी और हरे रंग के आभूषण इन राशियों की महिलाओं के लिए लाभकारी होते हैं, जो शांति और उन्नति का प्रतीक हैं।
- कर्क राशि: पीली साड़ी, मोती की माला और चांदी के आभूषण कर्क राशि की महिलाओं के लिए शुभ माने जाते हैं।
- सिंह राशि: नारंगी रंग की साड़ी और शृंगार से सिंह राशि की महिलाएं पूजा कर सकती हैं, जिससे वे आत्मविश्वास और शक्ति का संचार कर सकें।
- धनु और मीन राशि: पीले रंग के वस्त्र और आभूषण इन राशियों के लिए सौभाग्य लाते हैं।
- मकर और कुंभ राशि: इन राशियों की महिलाओं को आंखों में काजल लगाना शुभ होता है, जो ध्यान और आत्मनिरीक्षण का प्रतीक होता है।
करवा चौथ की कथा और पारंपरिक आस्था
करवा चौथ की कहानी भी इस पर्व की महत्ता को और बढ़ाती है। इस कथा में करवा नामक एक महिला अपने पति की रक्षा के लिए यमराज से लड़ाई करती है और उसे मृत्युदेवता से जीवनदान दिलाती है। यह कथा पति-पत्नी के अटूट प्रेम, समर्पण और विश्वास का प्रतीक है। करवा चौथ के व्रत की धार्मिक मान्यता इस बात पर भी आधारित है कि जो महिलाएं इस दिन सच्चे मन से उपवास करती हैं, उनके जीवन में खुशहाली और समृद्धि आती है।
करवा चौथ का पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि पति-पत्नी के बीच के रिश्ते को मजबूत करने और दांपत्य जीवन में प्रेम, विश्वास और समर्पण को बनाए रखने का प्रतीक है। यह पर्व भारतीय संस्कृति की गहराइयों में रचे-बसे मूल्यों और परंपराओं का जीवंत उदाहरण है। इस दिन, महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और सुखद जीवन की कामना करती हैं, जो उनके रिश्ते में आपसी प्रेम और आदर को और बढ़ाता है।