नीरव मोदी से भी आगे निकले झुनझुनवाला: कई बड़े बैंको को दे चुके झांसा, शातिर दिमाग वालों की होती थी कंपनी में नियुक्ति

संपत्ति सील होने के बाद बेची थी पत्नी के नाम से खरीदी जमीन, पैसे छिपाने की साजिश में पूरा कुनबा शामिल

वाराणसी(काशीवार्ता)। कभी जाने-माने उद्योगपतियों में शुमार रहे दीनानाथ झुनझुनवाला सरकारी कागजों में कैसे कर्जदार बने इस रहस्य से पर्दा उठाने में ईडी कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही। यह बात तो सामने आ ही चुकी है कि रुपये कमाने के लिए उन्होंने गलत और सिर्फ गलत काम किया। चाहे बैंक से फ्रॉड कर लोन लेना हो या खुद को सरकारी दस्तावेजों में दिवालिया घोषित करना। दरअसल, इसके लिए झुनझुनवाला ने बाकायदा शातिरों की एक टीम बना रखी थी।

ईडी की छापेमारी में पता चला है कि उन्होंने कई बैंकों से लोन के रूप में बड़ा अमाउंट अपने इन्हीं शातिर कर्मचारियों के नाम पर लिया है। लब्बोलुआब, झुनझुनवाला के काम करने का शातिराना तरीका जानकर आप हैरान हो जायेंगे। याद होगा, दीनानाथ झुनझुनवाला के यहां पहली बार 5 नवंबर 2019 को ईडी ने छापेमारी की थी। झुनझुनवाला के परिवार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, इस छापेमारी के विषय में करीब-करीब सभी को जानकारी है। लेकिन, लोगों को यह नहीं पता है कि झुनझुनवाला ने आशापुर वाली फैक्ट्री के सामने पत्नी किशोरी देवी के नाम से 12 विश्वा जमीन खरीदी थी। छापेमारी के बाद झुनझुनवाला ने इस जमीन को बेच दिया।

हालांकि, सूत्रों का कहना है कि खुद को कागजी स्तर पर दिवालिया दिखाने वाले झुनझुनवाला के पत्नी के नाम से इस जगह पर अभी भी एक से डेढ़ करोड़ रुपये की जमीन है। अगर इसकी ठीक से जांच हो जाए तो तस्वीर साफ हो जाएगी। सरकारी दस्तावेजों में झुनझुनवाला की पत्नी के नाम से यहां जमीन दर्ज है। बताया जाता है कि फैक्ट्री के सामने वाली जमीन को तब बेचा गया था जब ईडी ने अपने हिसाब से जानकारी इकट्ठा कर झुनझुनवाला की ज्यादातर संपत्तियों को सील कर दिया था। आशापुर की जमीन को बेचने के लिए भी झुनझुनवाला ने अपने इन्हीं शातिर कर्मचारियों को टास्क दिया था। उस जमीन पर आज कॉलोनी आबाद हो गई है।

गुजरे दौर के पन्ने पलटने पर पता चलता है, तिलमापुर के पूर्व प्रधान नागेश्वर मिश्र ने 4 जनवरी 2019 को रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री, केंद्रीय सतर्कता आयोग और नेशनल कंपनी ला प्राधिकरण को खत भेजकर अवगत कराया था कि जेवीएल एग्रो ग्रुप के प्रमोटरों ने बैंकों से करोड़ों रुपये का कर्ज लिया। योजनाबद्ध ढंग से अपना हजारों करोड़ रुपये विदेशों में छिपा दिया। बैंको से करोड़ों की रकम लेने के बाद कंपनी ने उस रकम को विदेशों में ट्रांसफर कर दिया। नुकसान का हवाला देकर यूपी, बिहार, राजस्थान और पश्चिमी बंगाल से अपना कारोबार समेटना शुरू कर दिया। पत्र में यह भी कहा गया था कि विदेशों में धन छिपाने की साजिश में दीनानाथ झुनझुनवाला का पूरा कुनबा शामिल है।

टॉप फिफ्टी डिफॉल्टर में जेवीएल एग्रो का नाम जेवीएल एग्रो अब देश की टॉप फिफ्टी डिफॉल्टर कंपनियों में शामिल हो गई है। यह कंपनी तकरीबन एक दर्जन बैंकों का अरबों रुपये का भारी-भरकम लोन दबाकर बैठी है। झुनझुनवाला के परिवार से जुड़े सूत्र बताते हैं कि खुद को दिवालिया घोषित करने से पहले बड़े पैमाने पर सरकारी रकम हेरफेर करने की योजना बनाई गई थी। दीनानाथ झुनझुनवाला के यहां सबसे पहले 10 जनवरी 2013 को इनकम टैक्स की टीम ने छापा मारा था।

लेटर ऑफ क्रेडिट कैसे मिला?
साल 2019 में लिखे लेटर में तिलमापुर के पूर्व प्रधान ने यह भी कहा है कि बैंकों का ये कैसा कर्ज वसूलने का तरीका है जो बकाएदारों को आलीशान मकान और महंगी कारों के काफिले के साथ चलने की आजादी देते हैं। पूर्व प्रधान का आरोप था कि बैंकों को अरबों का चूना लगाने वाली जेवीएल एग्रो से कर्ज की वसूली को लेकर न तो बैंको ने गंभीरता दिखाई और न सरकार ने। नतीजतन जनता की रकम का बड़े पैमाने पर गोलमाल किया गया। बैंक अफसरों ने इस कंपनी को भी वैसा ही करोड़ों का लेटर ऑफ क्रेडिट दिया, जैसा भगोड़े कारोबारी नीरव मोदी को पंजाब नेशनल बैंक ने दिया था। दीनानाथ झुनझुनवाला फ्रॉड प्रकरण में पीएनबी, बीओबी, यूबीआई, एसबीआई सरीखे बैंकों के आला अफसर जांच के घेरे में हैं।

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