वाराणसी (काशीवार्ता)। उद्यमी दीनानाथ झुनझुनवाला और उनके पुत्रों ने सिर्फ बैंकों को ही चूना नहीं लगाया, बल्कि अनेक विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भी जेवीएल एग्रो में निवेश कर फंसे हुए है। एनआरआई ने भी जेवीएल के शेयरों में निवेश किया था।
पब्लिक इश्यू में निवेश करने वाले सामान्य निवेशकों की संख्या भी बहुत बड़ी है। शेयर बाजारों में असूचीबद्ध होने के बाद जेवीएल एग्रो के शेयर रद्दी के कागज हो चुके है। शेयर बाजार में जेवीएल एग्रो के शेयर का अंतिम भाव मात्र 65 पैसा था, लेकिन इस भाव पर भी कोई खरीददार सामने नहीं आता था। कंपनी में घाटा दशार्ना शुरू करने के बाद भी चेयरमैन दीनानाथ झुनझुनवाला का वेतन पांच लाख 25 हजार, मैनेजिंग डायरेक्टर सत्यनारायन झुनझुनवाला का वेतन छह लाख 60 हजार एवं फुल टाइम डायरेक्टर आदर्श झुनझुनवाला का वेतन छह लाख 80 हजार रुपए था।
दीनानाथ झुनझुनवाला ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि नब्बे वर्ष की उम्र में इतनी परेशानी झेलनी पड़ेगी। जेवीएल एग्रो लिमिटेड के 31 मार्च 2019 को समाप्त वित्तीय वर्ष में कंपनी के कुल शेयरों में दीनानाथ झुनझुनवाला के पास 3.71 फीसदी, सत्यनारायन झुनझुनवाला के पास 2.66 फीसदी और आदर्श झुनझुनवाला के पास भी 2.66 फीसदी शेयर थे। यानी मात्र कुल नौ फीसदी शेयरों के बलबूते इन तीनों का गोरखधंधा चल रहा था। इन तीनों के अलावा परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों के नाम पर जो शेयर है उनको जोडने पर प्रमोटर हिस्सा 55 फीसदी होता है।
प्रमोटर में किशोरी देवी, उमा व अंजू झुनझुनवाला सहित 13 लोगों के नाम शामिल हैं। इसके विपरीत विदेशी संस्थागत निवेशक व वित्तीय संस्थान के पास भी लगभग 25 फीसदी शेयर हिस्सेदारी है। शेयर होल्डरों की सूची में एनआईआर भी शामिल हैं। जेवीएल, जिसे औपचारिक रूप से झूला वनस्पति लिमिटेड के नाम से जाना जाता है, इसके मायाजाल में बहुत लोग आज भी उलझे है। दस प्रमुख शेयर होल्डरों की सूची में इरिस्का इन्वेस्टमेंट फंड लिमिटेड, एशिया इन्वेस्टमेंट कापोर्रेशन (मारिशस) लिमिटेड, उत्तर प्रदेश कार्बन एंड केमिकल लिमिटेड, जसरापुरिया सिल्क मिल्स प्रा लिमिटेड, शुभम कोल प्रोसेसर्स प्रा लि., बैनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड, कार्वि स्टाक ब्रोकिंग लिमिटेड, नीलम अग्रवाल, उषा मनोहर शेट्टी एवं अनिरुद्ध बूबना ट्रस्ट शामिल हैं।
इन लोगों की कुल शेयरों में हिस्सेदारी 26 फीसदी से अधिक है। जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड ( झुनझुनवाला वनस्पति लिमिटेड) वनस्पति तेल को रिफाईंड करने, वनस्पति घी, सरसों तेल, डीओसी के उत्पादन और ट्रेडिंग करती थी। कंपनी का झूला ब्रांड भारत के 17 राज्यों और दो केन्द्र शासित प्रदेशों में उपलब्ध था। कंपनी अपने सभी उत्पादों का पैकिंग जार वगैरह भी बनाती थी। यही नहीं ये कंपनी वियतनाम, बांग्लादेश, थाईलैंड, चीन, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और अन्य सुदूर पूर्वी देशों को पशु व पोल्ट्री फीड का कच्चा माल निर्यात करती थी। कंपनी के उत्पादों में हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेल, डीएसिडीफाइड तेल, टिन प्लेट व प्लास्टिक कंटेनर, फैटी डिस्टिलेशन, एंटर एस्टरीफाइड एवं गैसिफिकेशन शामिल था। इसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी में जेवीएल ओवरसीज पीटीई लिमिटेड, सिंगापुर शामिल है। झुनझुनवाला वनस्पति लिमिटेड का 21 अक्टूबर 2008 को नाम बदलकर जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड कर दिया गया था। इतनी लम्बी चौडी व्यवस्था के बाद कंपनी का दिवालियापन आम आदमी के समझ के परे है।
राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण की इलाहाबाद पीठ ने 19 अगस्त 2020 से कंपनी के लिए परिसमापन प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था और सुप्रियो कुमार चौधरी को परिसमापक नियुक्त कर दिया था। ऐसा भी नहीं है कि व्यापार का अनुभव नहीं होने से भारी घाटा उठाना पड़ा। मुख्य प्रमोटर दीनानाथ झुनझुनवाला को इस व्यापार का काफी लम्बा अनुभव था। उन्होंने इसके पहले भी झुनझुनवाला आयल मिल्स, झुनझुनवाला रिफाइनरीज और झूला रिफाइनरीज जैसी कंपनियो को प्रमोट किया था। दीनानाथ झुनझुनवाला 1985 से 1988 तक यूपी सॉल्वैन्ट एक्सटैक्शन एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके है। वर्ष 2012 में कंपनी ने बिहार में पांच सौ एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था।
वर्ष 2012 में जेवीएल एग्रो ने हल्दिया में रिफाइनरी प्लांट शुरू किया था। वर्ष 2014 में कंपनी ने शेयर होल्डरों के लिए बीस फीसदी लाभांश की घोषणा की थी। फिर ऐसा क्या हुआ कि कंपनी घाटा उठाने की राह पर चल पड़ी। दीनानाथ झुनझुनवाला के पुत्र सत्यनारायन झुनझुनवाला ने 17 नवम्बर 1987 को प्रबंध निदेशक का पद सम्भाला था और एक नवम्बर 2017 को प्रबंध निदेशक की कुर्सी छोड़ दी। समाजसेवा के क्षेत्र में दीनानाथ झुनझुनवाला सक्रिय रहते थे। उनके संग-साथ के लोगों का कहना है कि दस वर्षों से दीनानाथ का पूरा समय समाजसेवा में ही व्यतीत होता था।
बीएचयू से विज्ञान स्नातक दीनानाथ झुनझुनवाला हिन्दू सेवा सदन अस्पताल, काशी गौशाला, रामानुज संस्कृत महाविद्यालय,, मारवाड़ी हिन्दू अस्पताल, काशी व्यायामशाला, योग मित्र मंडल, गीता स्वाध्याय केन्द्र सहित विभिन्न संस्थाओं में निरन्तर अपना योगदान देते रहे हैं। ऐसे व्यक्तित्व वाले दीनानाथ झुनझुनवाला इस समय प्रवर्तन निदेशालय के कटघरे में घड़े है।
ये विदेशी कम्पनियां निवेश कर फंसी
शेयर होल्डरों की सूची में इरिस्का इन्वेस्टमेंट फंड लिमिटेड, एशिया इन्वेस्टमेंट कापोर्रेशन (मारिशस) लिमिटेड, उत्तर प्रदेश कार्बन एंड केमिकल लिमिटेड, जसरापुरिया सिल्क मिल्स प्रा लिमिटेड, शुभम कोल प्रोसेसर्स प्रा लि., बैनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड, कार्वि स्टाक ब्रोकिंग लिमिटेड, नीलम अग्रवाल, उषा मनोहर शेट्टी एवं अनिरुद्ध बूबना ट्रस्ट शामिल हैं। इन लोगों की कुल शेयरों में हिस्सेदारी 26 फीसदी से अधिक है।