भारत का ‘रतन’: एक युग का अंत

वाराणसी(काशीवार्ता)।रतन टाटा, जिनका नाम भारत के इतिहास में सफलता और परोपकार की मिसाल के तौर पर लिया जाता है, अब हमारे बीच नहीं हैं। ब्रीच कैंडी अस्पताल में उनका निधन हुआ, जिससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। 100 करोड़ से अधिक की आबादी वाले देश में उनके जैसा सम्मान और मुकाम बहुत कम लोगों को मिल पाता है।

रतन टाटा न सिर्फ एक कामयाब बिजनेसमैन थे, बल्कि अपने परोपकार कार्यों के लिए भी वे जाने जाते थे। उनकी सोच और दूरदर्शिता ने न केवल भारत, बल्कि विश्व भर में भारतीय व्यवसायों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। टाटा समूह का नेतृत्व करते हुए उन्होंने देश के औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी कंपनियों ने लाखों लोगों को रोजगार दिया और देश को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में मदद की।

रतन टाटा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा कि रतन टाटा का जाना एक युग का अंत है। उनके विज़न और नेतृत्व ने भारत को वैश्विक मंच पर गौरवान्वित किया है। उनके निधन से देश को अपूर्णीय क्षति हुई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि रतन टाटा ने न केवल उद्योग में बल्कि समाज सेवा के क्षेत्र में भी अपना अमिट योगदान दिया।

खेल और मनोरंजन जगत की हस्तियों ने भी उनके निधन पर गहरा शोक प्रकट किया। क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली सहित कई खेल हस्तियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से रतन टाटा को श्रद्धांजलि अर्पित की।

रतन टाटा ने अपनी व्यावसायिक प्रतिभा और नेतृत्व क्षमता से भारतीय उद्योग को नई दिशा दी। उनकी दूरदर्शी नीतियों ने टाटा समूह को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया और भारतीय उद्योग को विश्व पटल पर विशेष स्थान दिलाया।

टाटा ट्रस्ट के माध्यम से उन्होंने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान दिया, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास शामिल हैं। उनकी सोच हमेशा समाज के उन वर्गों के उत्थान के लिए रही जो आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े हुए हैं।

उनके निधन से पूरे देश में एक खालीपन महसूस हो रहा है। उनके जैसा व्यक्तित्व और उनकी सोच हमेशा प्रेरणा देती रहेगी। वे सही मायनों में भारत का ‘रतन’ थे, और उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।

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