तथाकथित भाजपा नेता के दबाव में एक माह से अधर में लटकी धांधली की जांच

चतुर्थ श्रेणी कर्मी के मामले में कार्रवाई से हिचक रहे मुख्य चिकित्साधिकारी
(मामला दिव्यांग प्रमाण-पत्र का)


वाराणसी। दिव्यांग सर्टिफिकेट के नाम पर धन उगाही की शिकायत मिलने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.संदीप चौधरी सीएमएस डॉ. दिग्विजय सिंह, डिप्टी सीएमओ डॉ.ए.के.मौर्या व डॉ.राहुल सिंह की एक जांच कमेटी गठित की गई थी। परन्तु जांच टीम द्वारा एक माह बाद भी रिपोर्ट न सौंपे जाने से नाराज सीएमओ ने कमेटी को भंग करते हुए चार सदस्यीय नई कमेटी गठित की है। जिसमे एसआईसी कबीरचौरा डॉ.एस.पी.सिंह के नेतृत्व में एडिशनल सीएमओ डॉ.ए.के.मौर्या, डॉ.सत्यम राय सहित एक अन्य चिकित्सक जांच कर शीघ्र ही रिपोर्ट सीएमओ को सौपेंगे। विदित हो कि दिव्यांग से प्रमाणपत्र के लिए पैसा मांगने का आरोप सीएमओ कार्यालय के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शिवप्रताप पांडेय पर लगा था। दो लिखित शिकायत प्राप्त होने पर पहले तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी जिसने अपनी रिपोर्ट नही दी जिसके उपरांत पुनः चार सदस्यीय कमेटी गठित की गई है।विदित हो कि सीएमओ आफिस के एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की संबद्धता पं.दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय में विगत कई वर्ष पूर्व की गई थी। शासन से संबद्धता समाप्त करने के आदेश के बाद भी उक्त चतुर्थ श्रेणी कर्मी की संबद्धता समाप्त न किया जाना स्वास्थ्य महकमे में चर्चा का विषय बन चुका है। चतुर्थ श्रेणी कर्मी शिव प्रताप पाण्डेय सीएमओ कार्यालय में तैनात होने के उपरांत ही सत्ताधारी पार्टी के कुछ छुटभैय्ये नेताओं के माध्यम से अपनी संबद्धता पं.दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय के कुष्ठ रोग विभाग में करा लिया। उक्त कर्मी कुष्ठ रोग विभाग में कार्य न कर जन्म से नेत्रहीन, मूक-बधिर व हाथ-पैर से दिव्यांग व मंद बुद्धि के पीड़ितों का दिव्यांग प्रमाणपत्र बनवाने में संलिप्त हो गया। दिव्यांग प्रमाणपत्र बनवाने के नाम पर वो पीड़ितों व उनके परिजनों को सुविधा शुल्क के लिए प्रताणित करने लगा। जिस किसी ने थोड़ी बहुत भी आनाकानी की उसका दिव्यांग प्रमाणपत्र महीनों अटकाए रखा। इसकी शिकायत जब सीएमओ के पास लिखित रूप से शिकायतकर्ता द्वारा किये जाने के एक माह से भी अधिक समय व्यतीत होने के उपरांत भी न तो कर्मचारी की संबद्धता समाप्त की गई और न ही जांच कर कार्रवाई की गई। पीड़ित द्वारा लगातार सीएमओ कार्यालय से इस संबंध में जानकारी लेने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्हें एक ही रटा-रटाया जवाब मिलता है कि जांच चल रही है। शिकायतकर्ता अब जिलाधिकारी के पास शिकायत करने के साथ ही आईजीआरएस पर शिकायत करने की बात कर रहे हैं। यहां यह भी अवगत कराना आवश्यक है कि पं.दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय में तैनात एक एनेस्थेटिक चिकित्सक का सम्बधिकरण एसएसपीजी मंडलीय अस्पताल में किया गया था। जिसकी संबद्धता तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दूसरे चिकित्सक को सम्बद्ध किये जाने के लिए एक दिन का भी समय नहीं लगा, तो चतुर्थ श्रेणी कर्मी की संबद्धता समाप्त करने हेतु सीएमओ डॉ.संदीप चौधरी को एक माह से अधिक समय व्यतीत होने के उपरान्त आखिरकार क्या मजबूरी है ? मिली जानकारी के अनुसार उक्त कर्मी का रिश्तेदार जो अपने को भाजपा का नेता बताता है उसके दबाव में सीएमओ कार्रवाई करने से हिचक रहे हैं। जबकि उक्त तथाकथित भाजपा नेता पार्टी में किसी पद पर आसीन नहीं है।

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