भारत ने दिया है ‘जियो और जीने दो’ का सच्चा लोकतंत्र : सीएम योगी

गोरखपुर, 15 सितंबर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत ने सदियों से ‘जियो और जीने दो’ के सिद्धांत पर आधारित सच्चे लोकतंत्र की स्थापना की है। उन्होंने कहा कि जब विश्व में सभ्यता और मानवीय मूल्यों का कोई अस्तित्व नहीं था, तब भारतीय संस्कृति लोकतांत्रिक मूल्यों से परिपूर्ण थी। यह विचार उन्होंने गोरखनाथ मंदिर में युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 55वीं और राष्ट्रसंत महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 10वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित ‘लोकतंत्र की जननी है भारत’ विषयक सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए।

सीएम योगी ने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक परंपरा प्राचीन काल से ही जनता की आवाज और हितों को सर्वोपरि मानती रही है। रामायण और महाभारत काल के उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि प्रजा का सुख ही राजा का कर्तव्य था। उन्होंने भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के जीवन से लोकतंत्र के उदाहरण प्रस्तुत किए।

लोकतंत्र में जनता का हित सर्वोपरि

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक जड़ें सदियों पुरानी हैं और जब देश गुलाम हुआ, तब लोकतंत्र की इस विरासत को संजोने में चूक हुई। प्राचीनकाल में भी निरंकुश शासकों को हटाने का अधिकार जनता के पास था। वैशाली गणराज्य इसका उदाहरण है, जहां पूरी व्यवस्था जनता के हितों के लिए समर्पित थी।

संविधान को सर्वोच्च सम्मान

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संविधान को सर्वोच्च सम्मान देने से ही लोकतंत्र मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि सभी भारतीयों को जाति, मत, मजहब, और क्षेत्र से ऊपर उठकर संविधान को सुरक्षित रखने का दायित्व निभाना होगा।

भारतीय मूल्यों और संस्कारों से चलता लोकतंत्र

मुख्य अतिथि राज्यसभा उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र का आधार पांच हजार साल पुराने भारतीय मूल्य और संस्कार हैं। उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र का प्रादुर्भाव वेदों और पुराणों से हुआ है।

रामराज की संकल्पना को साकार कर रहे सीएम योगी

हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रामराज की संकल्पना को साकार कर रहे हैं। उन्होंने सीएम योगी की कार्यशैली की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह सबको न्याय और सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं।

सम्मेलन में प्रो. सदानन्द गुप्त, स्वामी विश्वेष प्रपन्नाचार्य और अन्य संतों ने भी भारतीय लोकतांत्रिक परंपराओं पर अपने विचार व्यक्त किए।

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