एचआईवी पीड़ितों की संख्या में इजाफा, अमला नहीं जागा

तरस नहीं आया तुझको…

चिंताजनक हैं आंकड़े, 2739 का हो रहा इलाज, महिला-पुरुषों के साथ बच्चे भी हैं शामिल

वाराणसी। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी एक दिसम्बर को सम्पूर्ण विश्व में एड्स दिवस मनाया जाएगा। लेकिन, क्या आपने सोचा है कि इससे क्या लाभ हो रहा है। यदि नहीं तो जान लीजिए जन स्वास्थ्य के लिए सबसे खतरनाक माने जाने वाले हयूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस (एचआईवी) एड्स के मामलों में लगातार बृद्धि दर्ज की जा रही है। आंकड़ों पर गौर किया जाय तो अगले 5 वर्षों में भारत विश्व का सबसे बड़ा एड्स ग्रस्त देश बन जाएगा। हालांकि, वर्तमान में पहले नंबर पर अफ्रीका हैं। यदि इस पर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाया गया तो जल्दी ही भारत का हर दसवाँ व्यक्ति एड्स पीड़ित हो जाएगा। हमारे यहां एच.आई.वी. कि संक्रमण दर 21.05 प्रति हजार है, जिसमे पहले स्थान पर महाराष्ट्र व दूसरे स्थान पर तमिलनाडु तथा तीसरे नंबर पर मणिपुर है। एआरटी सेंटर से मिले आंकड़ों के अनुसार 2739 एचआईवी संक्रमित यहां अपना इलाज करा रहे हैं। ये वो आंकड़े हैं जो पं.दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय में बने एआरटी सेंटर में पंजीकृत हैं। इसके अलावा न जाने कितने एचआईवी पीड़ित यूं ही घूम रहे होंगे जिन्हें खुद भी इस मर्ज के बारे में मालूम नहीं होगा। इसके मरीजों के बढ़ते आंकड़े यह बताने के लिए काफी है कि हम एचआईवी के प्रति कितने जागरूक हैं।

एआरटी सेंटर के अनुसार वर्षवार आंकड़े

2019-20 में 318 मरीज
2020-21 में कोविड-19 के दौरान 170  मरीज 2021-22 में 185 मरीज
2022-23 में 204 मरीज 
2023-24 में 254 मरीज  
2024-25 अगस्त माह तक 150 मरीज

लोकसभा में इसी वर्ष 11 अप्रैल को एवं राज्यसभा में 21 मार्च को ह्यूमन इम्युनोडेफिसिएंसी वायरस (एचआईवी) एवं एक्वॉर्ड इम्युन डेफिसिएंसी सिंड्रम-एड्स (रोकथाम एवं नियंत्रण) 2017 विधेयक पारित किया गया। मगर, अब तक इसको लेकर कोई सक्रियता नहीं दिखायी दे रही है।

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