नवरात्र में इस तरह करें माँ दुर्गा की पूजा, होंगे सभी दुख दूर

नवरात्र में माँ दुर्गा की पूजा विशेष महत्व रखती है। धार्मिक मान्यता है कि भक्त यदि पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से माँ की आराधना करें तो उनके सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। यहाँ नवरात्र में माँ दुर्गा की पूजा विधि और इसके महत्व को विस्तृत रूप में समझाया गया है।


नवरात्र का महत्व

नवरात्र साल में दो बार आते हैं—चैत्र और आश्विन मास में। यह नौ दिनों का पर्व देवी दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की उपासना के लिए समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि इन दिनों माँ की भक्ति करने से शरीर, मन और आत्मा को शुद्धि प्राप्त होती है।

पूजा से पहले की तैयारी

  • नवरात्र शुरू होने से पहले घर की अच्छी तरह सफाई करें।
  • पूजा स्थल को शुद्ध और पवित्र बनाकर माँ की प्रतिमा या कलश स्थापित करें।
  • संकल्प लेकर व्रत रखने और पूजा करने का निश्चय करें।

कलश स्थापना

पहले दिन घट या कलश की स्थापना की जाती है। इसे शुभता और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।

  • मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं और उसके ऊपर कलश रखें।
  • कलश पर नारियल, आम के पत्ते और लाल वस्त्र रखें।
  • यह स्थापना पूरे नवरात्र माँ दुर्गा की उपस्थिति का प्रतीक होती है।

देवी के नौ स्वरूपों की पूजा

नवरात्र के प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है।

  • प्रथम दिन शैलपुत्री देवी की आराधना होती है।
  • द्वितीय दिन ब्रह्मचारिणी,
  • तृतीय दिन चंद्रघंटा,
  • चतुर्थ दिन कूष्मांडा,
  • पंचमी पर स्कंदमाता,
  • षष्ठी पर कात्यायनी,
  • सप्तमी पर कालरात्रि,
  • अष्टमी पर महागौरी,
  • नवमी पर सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
    इन देवी स्वरूपों की विशेष उपासना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।

पूजा विधि

  • सुबह स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक प्रज्वलित करें।
  • फूल, अक्षत, रोली, चंदन, सुहाग सामग्री और नारियल अर्पित करें।
  • दुर्गा सप्तशती, चंडी पाठ या देवी स्तुति का पाठ करें।
  • माता को नैवेद्य में फल, मिठाई और भोग चढ़ाएं।
  • संध्या काल में दुबारा दीपक जलाकर आरती करें।

व्रत का महत्व

नवरात्र में कई भक्त व्रत रखते हैं। यह व्रत केवल अनाज न खाने का होता है, जिसमें फलाहार और दूध का सेवन प्रमुख होता है। व्रत से शरीर और मन की शुद्धि होती है और आत्मबल में वृद्धि होती है।

कन्या पूजन

अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। इस दिन छोटी कन्याओं को देवी का रूप मानकर उन्हें भोजन कराना, पैर धोना और उपहार देना अति शुभ माना जाता है।

नवरात्र का लाभ

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्र में नियमित पूजा-अर्चना करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। परिवार में प्रेम और शांति बनी रहती है। माँ दुर्गा दु:ख, भय और कठिनाइयों को दूर करके अपने भक्तों को सुख-समृद्धि और सफलता प्रदान करती हैं।

नोट:यह लेख केवल धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है।


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