
वाराणसी कचहरी परिसर में पुलिस और वकीलों के बीच हुए विवाद के बाद हालात तनावपूर्ण बने हुए थे। इस टकराव के चलते न सिर्फ कचहरी परिसर का माहौल गर्मा गया था बल्कि जिले के प्रशासनिक स्तर पर भी चिंता बढ़ गई थी। इसी परिप्रेक्ष्य में रविवार को पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल के कैंप कार्यालय पर वकीलों और प्रशासन के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में वकीलों का 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल, पुलिस विभाग तथा जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
बैठक के दौरान वकीलों ने अपनी कई महत्वपूर्ण मांगें प्रशासन के सामने रखीं। सबसे प्रमुख मांग यह थी कि हाल के दिनों में हुई सभी घटनाओं की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच कराई जाए। उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि जांच मजिस्ट्रेट स्तर से होनी चाहिए ताकि किसी भी पक्ष को पक्षपात का आरोप लगाने का अवसर न मिले। इसके साथ ही वकीलों ने यह भी मांग की कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक अधिवक्ताओं के खिलाफ किसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई न की जाए।
पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने बैठक के बाद बताया कि वकीलों की मांगों पर गंभीरता से विचार किया गया और यह निर्णय लिया गया कि प्रत्येक घटना की मजिस्ट्रेटी जांच कराई जाएगी। साथ ही, यह भी तय किया गया है कि जांच पूरी होने तक किसी भी अधिवक्ता पर कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस निर्णय को वाराणसी कचहरी में उपजे तनावपूर्ण माहौल को शांत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
कानून व्यवस्था बनाए रखने और न्यायिक प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए प्रशासन और अधिवक्ता समाज के बीच समन्वय बेहद आवश्यक है। यह बैठक उसी दिशा में उठाया गया एक ठोस प्रयास प्रतीत होती है। उम्मीद की जा रही है कि इस फैसले से वकीलों और पुलिस के बीच बने तनाव में कमी आएगी और कचहरी का वातावरण फिर से सामान्य हो सकेगा। प्रशासन का यह कदम दोनों पक्षों के बीच आपसी विश्वास बहाल करने और विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने की दिशा में अहम साबित हो सकता है।