Prashant Singh
Kashivarta Live
वाराणसी(काशीवार्ता)। सरकारी काम में लापरवाही कैसे होती है इसकी बानगी देखना है तो मणिकर्णिका आइए। दरअसल, काशी के गंगा घाट पर स्थित मणिकर्णिका घाट पर इन दिनों केंद्र सरकार की ओर से सुंदरीकरण का काम कराया जा रहा है। घाट का वृहद विस्तार होना है।
इसी विस्तार के तहत घाट पर फर्श बनाई जा रही है। जगह-जगह फर्श खोद कर छोड़ दी गई है। आने वाले शवयात्री फर्श से निकली सरिया से ठोकर खाकर जख्मी हो रहे हैं। ताज्जुब इस बात का की सुंदरीकरण के कार्य का समय-समय पर अधिकारी स्थलीय निरीक्षण कर निर्देश जारी करते रहते हैं।
बावजूद इनको घाट के फर्श पर जगह-जगह निकली सरिया नहीं दिखती है। अगर शवयात्री सावधानीवश न चलें तो उनका ठोकर खाकर जख्मी होना करीब-करीब तय है। बात करें मान्यताओं की तो हिंदुस्तान में माहाशमशान सिर्फ बनारस के मणिकर्णिका घाट पर ही है। कहा जाता है, महादेव यहां अंतिम संस्कार के लिए आए पार्थिव शरीर को खुद तारक मंत्र देते हैं।
लकड़ी बेचने वालों की मनमानी
घाट पर पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार करने आए शव यात्री अगर फर्श से निकली सरिया से बच जाते हैं तो उन्हें लकड़ी बेचने वाले आर्थिक रूप से चोटकर जख्मी करते हैं। घाट पर अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी बेचने वाले मनमाना दाम वसूलते हैं। विरोध करने पर शवयात्रियों से मारपीट तक की जाती है। घाट से ईलाकाई थाने की दूरी महज एक हजार मीटर की है। इसके बाद भी चौक पुलिस को आज तक लकड़ी बेचने वालों की मनमानी का पता नहीं चल पाया।