आषाढ़ अमावस्या के दिन भोलेनाथ की आराधना करने से शनि देव के बुरे प्रभाव को कम कर सकते हैं। इस दिन भगवान शिव की आराधना करने और पंचामृत से जलाभिषेक करने से विशेष फल प्राप्ति की होती है। मान्यता है की आषाढ़ अमावस्या पर कुछ उपाय कर लेने से शनि की साढे साती और ढैया के बुरे प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसलिए शनि देव की असीम कृपा पाने के लिए आषाढ़ अमावस्या पर करें ये उपाय-
अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इस दिन सुबह पीपल की जड़ में दूध और जल अर्पित करें। फिर पांच पीपल के पत्तों पर पांच मिठाई रख दें और फिर घी का दीपक जलाकर सात बार परिक्रमा करें। इस दिन का पीपल का पेड़ भी लगाना चाहिए और रविवार का दिन छोड़कर हर रोज जल भी दें।
शास्त्रों के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या के दिन स्नान-दान के साथ भगवान शनि की पूजा करने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही इस दिन पितरों का तर्पण करने का भी शुभ फल प्राप्त होगा। इसके साथ ही शनि चालीसा का पाठ करना चाहिए।
पितृदोष से मुक्ति पाना चाहते हैं तो आषाढ़ मास की अमावस्या के दिन पितृ कवच का पाठ करें। इस पाठ के साथ पितृ स्तोत्र या पितृ सूक्तम का पाठ भी कर सकते हैं, जिससे पितरों का आशीर्वाद मिलेगा साथ ही पितृ दोष भी दूर होगा।
आषाढ़ अमावस्या के दिन शनि साढ़े साती और ढैय्या के प्रभाव को कम करने के लिए रुद्राक्ष की माला से ऊँ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए। अमावस्या के दिन शनिदेव को सरसों का तेल अर्पित करें। इसके साथ ही सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
आषाढ़ अमावस्या के दिन दान का काफी महत्व है। इसलिए इस दिन शनिदेव संबंधी चीजों का दान करना चाहिए इसलिए आषाढ़ अमावस्या के दिन आटा, शक्कर, काले तिल को मिलाकर चींटियों को खिलाएं।