वाराणसी: प्याज और लहसुन के दाम इन दिनों आसमान छू रहे हैं, जिससे आम जनता की परेशानी बढ़ गई है। वर्तमान में प्याज की कीमत 80 रुपये प्रति किलो तक पहुँच गई है, जबकि लहसुन का दाम लगभग 480 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। यही नहीं, अब कुछ सब्जी विक्रेता लहसुन के दाम किलो में नहीं, बल्कि पाव (250 ग्राम) में बताते हैं, ताकि ग्राहकों को कम मूल्य पर दिखा सकें, लेकिन असल में यह दाम भी अधिक हैं। इसके साथ ही अन्य सब्जियों की कीमतों में भी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है, जैसे परवल 100 रुपये किलो और बोड़ा 80 रुपये किलो बिक रहा है।
प्याज और लहसुन की बढ़ती कीमतों का कारण
सोमवार को भोजूबीर, दशाश्वमेध, सुंदरपुर, चंदुआ सट्टी, शिवपुर, लंका, भदैनी, महमूरगंज, सिगरा जैसे प्रमुख बाजारों में यही दाम रहे। हालांकि, पहड़िया मंडी में प्याज की थोक कीमत 55-60 रुपये प्रति किलो रही, लेकिन यहां भी कारोबारियों का कहना है कि पिछले तीन दिनों में प्याज के दाम में करीब दस रुपये प्रति किलो की कमी आई है। इसके बावजूद, आम दुकानदारों पर दामों में कमी का असर नहीं दिख रहा है और उपभोक्ताओं को भारी कीमतों का सामना करना पड़ रहा है।
बिचौलियों और जमाखोरों की भूमिका
विशेषज्ञों के अनुसार, प्याज और लहसुन की कीमतों में इस अप्रत्याशित वृद्धि के पीछे मुख्य कारण बिचौलियों और जमाखोरों का हाथ है। इन दोनों सब्जियों की आपूर्ति में अचानक कमी के कारण इनका व्यापार करने वाले मध्यस्थ इसका फायदा उठाते हुए कीमतों को बहुत बढ़ा देते हैं। यह स्थिति मुनाफाखोरी को बढ़ावा दे रही है, जिसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है। कई व्यापारी मानते हैं कि यह एक असामान्य स्थिति है, जो मुख्य रूप से आपूर्ति श्रृंखला में रुकावट और मांग में अचानक वृद्धि के कारण उत्पन्न हुई है।
ग्राहकों के लिए चुनौती
हालांकि, कारोबारियों का कहना है कि कीमतों में बढ़ोतरी का असर बाजार में अब धीरे-धीरे कम होने लगा है, लेकिन इसके बावजूद सामान्य लोगों के लिए अपनी रोजमर्रा की आवश्यकताओं को पूरा करना मुश्किल हो गया है। इन बढ़ी हुई कीमतों के कारण खाने-पीने की वस्तुएं अब और महंगी हो गई हैं, जिससे घरों का बजट बिगड़ गया है।
प्याज और लहसुन की बढ़ी हुई कीमतें सिर्फ वाराणसी ही नहीं, बल्कि पूरे देश में एक बड़ी चिंता का विषय बन गई हैं। इसमें जमाखोरी, मुनाफाखोरी और बिचौलियों का मुख्य हाथ होने के कारण सरकार को इस पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि आम जनता को राहत मिल सके और वे महंगे दामों पर सब्जियाँ खरीदने के लिए मजबूर न हों।