बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के कारण हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद, देशभर में व्यापक हिंसा फैल गई है, जिसमें खास तौर पर हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। हिंसा की घटनाएं राजधानी ढाका, चटगांव, कुलना और अन्य क्षेत्रों में भी देखी जा रही हैं।
इस हिंसा के दौरान जेल से कई कैदी फरार हो गए हैं और खुलेआम हथियारों के साथ घूमते नजर आ रहे हैं। हिंसा में हिंदू मंदिरों, घरों, और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ की गई है। कई हिंदू महिलाओं पर भी हमले हुए हैं और अवामी लीग पार्टी से जुड़े दो हिंदू नेताओं की हत्या कर दी गई है। कट्टरपंथियों द्वारा हिंदुओं की संपत्तियों को खास तौर पर निशाना बनाया जा रहा है। मंदिरों और गुरुद्वारों पर हमले हुए हैं और व्यापक पैमाने पर लूटपाट की गई है।
जानकारी के अनुसार, हिंसा से प्रभावित जिलों में पंचगढ़, दिनाजपुर, रंगपुर, बोगुरा, सिराजगंज, शेरपुर, किशोरगंज, पश्चिम जशोर, मगुरा, नरैल, दक्षिण-पश्चिम खुलना, पटुआखली, सतखीरा, मध्य नरसिंगडी, तंगैल, उत्तर-पश्चिम लक्खीपुर, फेनी, चटगांव, और हबीगंज शामिल हैं। इन क्षेत्रों में धार्मिक अल्पसंख्यकों और उनके घरों या व्यवसायों पर हमले किए गए हैं।
ढाका ट्रिब्यून
की खबर के अनुसार, देशभर में 400 से अधिक पुलिस थानों पर हमले, तोड़फोड़, आगजनी और लूटपाट हुई है। कई स्थानों पर पुलिस और उग्र भीड़ के बीच झड़पें हुईं हैं, जिसमें कई पुलिसकर्मी हताहत हुए हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि 1971 के बाद से ऐसी स्थिति उन्होंने नहीं देखी है।
बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति पर विश्व हिंदू परिषद ने गहरी चिंता जताई है। परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि वहां पर अल्पसंख्यकों को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने भारत सरकार से हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपील की है। परिषद का कहना है कि एक दिन पहले पंचगढ़ जिले में 22, झीनैदाह में 20 घरों, और जैसोर में 22 दुकानों को निशाना बनाया गया था।
भारत सरकार ने बांग्लादेश में हो रही घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि वहां की स्थिति चिंताजनक है और भारत सरकार मौजूदा स्थिति पर नजर बनाए हुए है। बांग्लादेश सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। भारत सरकार बांग्लादेश के मौजूदा तंत्र के साथ निरंतर संपर्क में है ताकि वहां के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
यह हिंसा और अराजकता बांग्लादेश में सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के लिए गंभीर खतरा बन गई है, जिससे देश में शांति और स्थिरता बहाल करने की आवश्यकता बढ़ गई है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भी इस स्थिति की ओर आकर्षित हो रहा है, और सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की जा रही है।