हर रोज एक लाख से अधिक लोगों की होती है आवाजाही
Shashidhar Issher
वाराणसी(काशीवार्ता)। हाथरस में कल सत्संग के दौरान मची भगदड़ में हुई मौतों से काशीवासी भी सहम गए हैं। इस घटना को स्थानीय जिÞला एवं पुलिस प्रशासन को गंभीरता से लेने की जरुरत है। क्योंकि जिस तरह से वाराणसी में भीड़ की तादात बढ़ रही है, उसको देखकर कोई भी यह समझ सकता है कि यहां किसी दिन भगदड़ मची तो अंजाम क्या होगा।
दरअसल, शहर का सबसे हॉट स्पॉट गोदौलिया-दशाश्वमेध है। बनारस आने वाले यदि घाट व विश्वनाथ मंदिर न जायें तो उनका आना बेकार है। इस मार्ग पर जाने वालों की भीड़ देखनी है तो शाम के वक़्त गोदौलिया पहुंच जाइए।सिर्फ और सिर्फ नर मुंड ही दिखेंगे। दूसरी तरफ दोनों ओर की पटरियों पर दुकानदारों ने अतिक्रमण कर रखा है। बात पटरियों तक भी रहती तो ठीक था, मगर बड़ी संख्या में वेंडर सड़क पर चिल्ला-चिल्ला कर सामान बेचते है। अब कुछ बिकेगा, तो लोग खरीदेंगे ही। लबे सड़क खरीदारों की भी भीड़ से स्थिति और विकट हो जाती है। नतीजा न ही सड़क पर चलने की जगह बचती है और ना ही पटरियों पर। अपराह्न से लेकर रात्रि तक इस मार्ग पर आवागमन बिल्कुल कच्छप गति से चलता है।
हर रोज इस इलाके में एक लाख लोगों का आवागमन होता है। तथा किसी भी दिन बड़े हादसे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। मजे की बात तो यह है कि जब यहां नगर निगम का अतिक्रमण हटाओ दस्ता आता है तो सारे अतिक्रमण गायब हो जाते हैं और पटरिया भी खाली हो जाती हैं। मानों इन्हें पहले से मालूम होता है कि आज अतिक्रमण दस्ता आने वाला है। बताया जाता है डेढ़सी पुल से त्रिपुरा भैरवी होते हुए विश्वनाथ धाम के गेट नंबर 2 मार्ग की स्थिति और भी बदतर है। यह गली बहुत सकरी है, ऊपर से दुकानदारों ने अतिक्रमण कर रखा है। इतना ही नहीं, गली में अक्सर दो पहिया वाहन खड़े रहते हैं। मानों पार्किंग स्पेस हो। इस गली में रोज बाबा के हजारों भक्तों की लंबी लाइन लगती है।
प्रशासनिक लापरवाही की बानगी तो यह है कि अक्सर यहां बवाल होता है, मगर इसे रोकने के लिए अब तक कोई इंतजाम नहीं किए गये। यह गली चौक तक जाती थी, परंतु गेट नंबर 2 के निर्माण के बाद से गली बंद है। सूत्रों ने बताया कि विश्वनाथ मंदिर प्रशासन से पत्र लिखकर कई बार कहा गया कि निकासी कहीं और से की जाए, लेकिन किसी के कान में जूं नहीं रेंग रहा। स्थानीय नागरिकों ने पुलिस व मंदिर प्रशासन से मांग की है कि इसका शीघ्र निदान किया जाए अन्यथा हाथरस जैसा हादसा हो सकता है।