कार बाजार का जीएसटी ने किया बेड़ा गर्क, 29 से 45 प्रतिशत तक टैक्स से बेतहाशा बढ़े वाहनों के दाम

डीलरों को परेशानी, डंप पड़ी गाड़ियाँ, बढ़ रहा बैंक का ब्याज

त्यौहारी सीजन में वाहनों की बिक्री में इजाफे की उम्मीद

वाराणसी। ऐसा माना जाता है कि बाजार में त्यौहारी सीजन की शुरुआत होती है तो वाहन कंपनियां ग्राहकों को लुभाने के लिए डिस्काउंट व अनेकों आकर्षक उपहार देने की शुरुआत कर देते हैं। परन्तु इस वर्ष त्यौहारी सीजन शुरू होने के बावजूद हजारों करोड़ रुपये के चार पहिया वाहन डंप पड़े हैं, खरीददार बाजार से दूरी बनाए हुए हैं। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन की मानें तो पूरे भारत में ऑटोमोबाइल डीलरशिप पर कारों की बिक्री में जबरदस्त गिरावट देखी जा रही है। पूरे देश में चार पहिया वाहनों का स्टॉक लगातार बढ़ता जा रहा है। जिसका आंकड़ा लाखों की संख्या पार कर चुका है। डीलरों के यहां स्टॉक बढ़ने के साथ ही कार बनाने वाली कंपनियों ने अपना प्रोडक्शन कम कर दिया है।

कार डीलरों पर बैकों के सीसी लिमिट के ब्याज का बढ़ रहा बोझ

जुलाई से ऑटो बाजार में बड़ी गिरावट दर्ज हुई है। बाजार में कारों की बिक्री विगत दो वर्षों में पहली बार ऐसी गिरावट दर्ज हुई है। कारों की बिक्री न हो पाने के कारण डीलरों पर बैकों के सीसी लिमिट के ब्याज का भी बोझ बढ़ रहा है। चार पहिया वाहन डीलरों ने बताया कि जुलाई माह से गाड़ियों की बिक्री में गिरावट आई जो अभी भी दिखाई पड़ रही है। कहा कि पेट्रोल, डीजल के दामों में बेतहाशा बृद्धि के साथ ही लगभग 28 फीसदी जीएसटी का भार भी ग्राहकों की जेब पर भारी पड़ रहा है। बिक्री में कमी के कारण बढ़ता स्टॉक डीलरों के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। वाहनों की धीमी मांग की शुरुआत इस वर्ष लोकसभा चुनावों के दौरान शुरू हुई जिसको भीषण गर्मी व बरसात ने भी प्रभावित किया। वाहनों की इस मंदी ने डीलरशिप पर भारी बोझ डाल दिया है। हालांकि इससे उबरने के लिए वाहन निर्माता कंपनियों महिंद्रा, टोयोटा और किआ को छोड़ दें तो ज्यादातर कार कंपनियों की बिक्री में बेतहाशा कमी दर्ज हुई है। मारुति सुजुकी की बिक्री में लगभग 10 फीसदी कम हुई, वहीं हुंडई, टाटा मोटर्स और होंडा की बिक्री में भी गिरावट दर्ज हुई है।

बिक्री कम होने से बैकलॉग दो माह से ज्यादा का हुआ

एजीआर के अधिष्ठाता राजीव गुप्ता ने काशीवार्ता प्रतिनिधि से बातचीत के दौरान कहा कि जुलाई माह की अपेक्षा अगस्त माह में गाड़ियों की बिक्री में ज्यादा कमी आई है। क्योंकि ग्राहक हमेशा जुलाई-अगस्त में गाड़ी खरीदने की अपेक्षा नवरात्रि, धनतेरस व दीपावली में गाड़ी खरीदने पर विशेष ध्यान रखता है। कहा कि पहले एक माह का स्टॉक ही शो-रूम पर रहता था लेकिन गाड़ियों की बिक्री कम होने से बैकलॉग दो माह से ज्यादा का हो गया है। जिसके चलते बैंक से सीसी लिमिट के तहत लिए लोन के ब्याज का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। गाड़ियों के दामों में बृद्धि के साथ ही 28 फीसदी जीएसटी का भी असर गाड़ियों की बिक्री पर पड़ रहा है। कहा कि त्यौहार के दौरान गाड़ियों पर कंपनियों द्वारा दिये जाने वाले ऑफर बंद हो जाते हैं। इसलिए गाड़ी खरीदने का सबसे उपयुक्त समय सितंबर माह होता है। बैंकों ने भी इस माह कार लोन पर ब्याज दर कम किया है और 10 फीसदी डाउन पेमेंट पर ही गाड़ियां मिल जा रही हैं। बावजूद इसके ग्राहकों के ऊपर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है। श्री गुप्ता ने कहा कि नई गाड़ियों के लांच होने से पुराने मॉडल पर असर नहीं पड़ता है।

चैत्र नवरात्र से गाड़ियों की बिक्री में आई कमी

मंडुआडीह में तीन शो-रूम के मालिक सचिन तलवार ने कहा कि चैत्र नवरात्र से गाड़ियों की बिक्री कम होनी शुरू हुई जो अभी भी कम होती जा रही है। ग्राहक शो-रूम में आते जरूर हैं लेकिन गाड़ियों को देख व उनके दामों के साथ जीएसटी की दरों को सुनकर वापस चले जाते हैं। कहा कि विगत मार्च माह तक गाड़ियां आती थीं और बिक जाती थीं अब स्थिति यह है कि सौ गाड़ियां शो-रूम में खड़ी हैं। बैंक से लोन लेकर इस उम्मीद से गाड़ियां मंगाई जाती हैं कि बिक्री के बाद लोन जमा।कर दिया जाएगा। लेकिन बिक्री कम होने से बैकलॉग बढ़ने के साथ ही बैंक के लोन का ब्याज भी बढ़ता जा रहा है। कहा कि आगामी फरवरी माह में ऑटो-एक्सपो के चलते भी असर पड़ा है। ग्राहक इस इंतजार में हैं कि इलेक्ट्रिक वाहन आएंगे और सरकार द्वारा उसपर छूट दी जाएगी इसलिए भी बिक्री पर असर पड़ रहा है। श्री तलवार ने कहा कि त्यौहार के दौरान कंपनियों द्वारा गाड़ियों पर छूट न के बराबर होती है। फंसे हुए मॉडल पर छूट देती है जिससे स्टॉक क्लियर हो सके। अगस्त-सितंबर माह में पितृपक्ष के पूर्व गाड़ी खरीदने के लिए उपयुक्त समय होता है। नए मॉडल लॉन्च होने पर डीलर को स्टॉक क्लियर करने के लिए ग्राहकों को छूट देनी पड़ती है जिससे बैकलॉग खत्म हो और बैंक के ब्याज से निजात मिल सके।

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