वाराणसी (काशीवार्ता)। सरकार चाहे जितने भी प्रयत्न कर ले टैक्स की चोरी करने वालों पर लगाम नहीं लगा सकती है। जनपद में चल रहे मेडिकल स्टोर, दालमंडी, हड़हा सराय, कोदई चौकी के समीप चल रही दुकानों पर बिकने वाले सामान पर दुकानदार जीएसटी तो चार्ज करते हैं। परन्तु किसी भी ग्राहक को जीएसटी बिल देना मुनासिब नहीं समझते हैं। यदि किसी ने बिल मांग दिया तो उसे कच्चा बिल हाथ से बनाया कर दे दिया जाता है। ऐसा ही मामला अर्दली बाजार महाबीर मंदिर के समीप श्री विनायक फार्मेसी अंग्रेजी दवाखाने पर देखने को मिला। उक्त मेडिकल स्टोर से दवा लेने वाले ग्राहकों से दुकानदार द्वारा सभी टैक्स जोड़कर पैसा तो ले रहे थे लेकिन किसी भी ग्राहक को बिल नही दिया जा रहा था।
दवा वापस करने के नाम पर की जाती है बत्तमीजी
एक ग्राहक जो कि विनायक फार्मेसी से दवा लेकर गया था। चिकित्सक द्वारा दवा बंद किये जाने के कारण जब वो दवा वापस करने पहुंचा तो मेडिकल स्टोर पर मौजूद दुकानदार ने उसके साथ बत्तमीजी करते हुए कहा कि दवा वापस नहीं होगी। पूछने पर बताया कि दवा पत्ते से काटकर दी गई है। जब उसने कहा कि आपने ही दवा काटकर दिया है तो वापस क्यों नहीं करेंगे। इतना कहने पर मेडिकल स्टोर संचालक ने कहा कि दवा वापस नहीं होगी जो करना हो कर लीजिए। मेरी भी पहुंच स्थानीय नेताओं व अधिकारियों तक है।
ड्रग इंस्पेक्टर के हस्तक्षेप से दवा हुई वापस
इस संबंध में जब काशीवार्ता प्रतिनिधि जो कि मौके पर मौजूद था उसने ड्रग इंस्पेक्टर से वार्ता की तो मेडिकल स्टोर संचालक ने दवा वापस तो की लेकिन उसे यह नहीं बताया कि कितने की दवा है और कितना वापस होगा। उक्त व्यक्ति ने दवा का जो पैसा जोड़कर दिया उसे ही ग्राहक को लेना पड़ा। इस संबंध में ड्रग इंसेक्टर ने कहा कि मेडिकल स्टोर संचालक द्वारा पक्की रसीद न दिया जाना नियम विरुद्ध है।
सरकार को करोड़ों का के राजस्व का नुकसान
जनपद में प्रतिदिन करोड़ों का व्यापार कच्चे बिल पर व्यापारियों द्वारा किया जाता है। जिसकी जानकारी जीएसटी विभाग को होने के बाद भी कार्रवाई न किये जाने से दुकानदारों का मनोबल बढ़ गया है। यदि कभी किसी प्रतिष्ठान पर जीएसटी का छापा पड़ता है तो सुविधा शुल्क लेकर मामले को रफा दफा कर दिया जाता है। जिससे प्रतिमाह करोड़ों रुपये राजस्व का नुकसान सरकार को उठाना पड़ रहा है।