श्री काशी विश्वनाथ धाम में अन्नकूट पर्व का भव्य आयोजन

वाराणसी, 22 अक्टूबर। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर श्री काशी विश्वनाथ धाम में प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी अन्नकूट पर्व का भव्य और श्रद्धामय आयोजन संपन्न हुआ। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पूजा की स्मृति में मनाया जाता है और अन्न की समृद्धि, सुरक्षा व कृतज्ञता की भावना का प्रतीक है। अन्नकूट पर्व प्रकृति और ईश्वर के प्रति आभार प्रकट करने की परंपरा का द्योतक है।

इस पावन अवसर पर भगवान श्री विश्वेश्वर महादेव का श्रृंगार 21 क्विंटल विविध प्रकार की मिष्ठानों से किया गया। यह मिष्ठान धाम से जुड़े विभिन्न प्रतिष्ठानों से प्राप्त हुआ। श्रृंगार में छेना, बूंदी लड्डू, काजू बर्फी, मेवा लड्डू और पारंपरिक मिठाइयाँ प्रमुख रूप से सम्मिलित रहीं। धाम परिसर को पुष्पों, दीपों और सुगंधित धूप से सजाया गया, जिससे पूरा वातावरण भक्ति और उल्लास से भर उठा।

अन्नकूट पर्व के अवसर पर भगवान श्री विश्वनाथ, माता गौरी और गणेश जी की पंचबदन रजत चल-प्रतिमा की भव्य शोभायात्रा टेढ़ीनीम स्थित महंत परिवार के आवास से प्रारंभ हुई। शहनाई और डमरू की मंगल ध्वनि तथा “हर-हर महादेव” के जयघोष के बीच यह शोभायात्रा गर्भगृह में पहुंची, जहाँ श्री विश्वनाथ जी की मध्याह्न भोग आरती विधि-विधानपूर्वक सम्पन्न की गई। इस दौरान भगवान को विविध प्रकार के भोग अर्पित किए गए।

आरती के पश्चात श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरण किया गया, जो अन्नकूट पर्व की परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। भक्तों ने भावपूर्वक प्रसाद ग्रहण कर भगवान विश्वनाथ से समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति की कामना की।

अन्नकूट पर्व केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि सनातन धर्म के सामाजिक और आध्यात्मिक मूल्यों का जीवंत प्रतीक है। यह पर्व समाज में एकता, बंधुत्व, सहयोग और दान की भावना को सुदृढ़ करता है। भक्त इस दिन न केवल पूजा-अर्चना करते हैं, बल्कि मिलजुलकर आनंद और सौहार्द का संदेश भी देते हैं।

यह पर्व सिखाता है कि सच्ची भक्ति, निःस्वार्थ सेवा और प्रेम से समस्त सनातनधर्मी एक वृहद परिवार का हिस्सा हैं। श्री काशी विश्वनाथ धाम में संपन्न यह अन्नकूट महोत्सव न केवल आस्था का प्रतीक रहा, बल्कि यह समाज में समरसता और आध्यात्मिक उत्थान का दिव्य संदेश लेकर आया।

॥ श्री काशीविश्वनाथो विजयतेतराम ॥

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