भारतीय संस्कृति के रंग में रंगे विदेशी श्रद्धालु ,बसंत पंचमी के पावन अवसर पर त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान कर हुए निहाल

भारत की संस्कृति के बने साक्षी, साथी तीर्थयात्रियों का गर्मजोशी से किया स्वागत

इस अनुपम अवसर को बताया अपने जीवन का सबसे अनमोल अनुभव


महाकुंभ नगर, 3 फरवरी

बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर संगम नगरी प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। आस्था और श्रद्धा से ओत-प्रोत इस माहौल में विदेशी श्रद्धालु भी भारतीय संस्कृति के रंग में पूरी तरह रंगे हुए नजर आए। इन श्रद्धालुओं ने भारतीय परंपराओं को आत्मसात करते हुए पवित्र डुबकी लगाई और अपने इस आध्यात्मिक अनुभव को जीवन का सबसे अनमोल क्षण बताया।

विदेशी श्रद्धालु इस अवसर पर न केवल आध्यात्मिकता में लीन दिखे, बल्कि साथी तीर्थयात्रियों का गर्मजोशी से स्वागत भी किया। उन्होंने महाकुंभ में शामिल होने को अपने जीवन का सबसे दुर्लभ और यादगार अनुभव बताया।


अनोखा अवसर, अविस्मरणीय अनुभव

इटली से आए एक श्रद्धालु ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा, “मैंने अभी-अभी त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाई और यह अनुभव अविस्मरणीय है। यह जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर है, और मैं खुद को अत्यंत धन्य महसूस कर रहा हूं। यहां का माहौल दिव्य है, और लोगों का व्यवहार बेहद प्रेमपूर्ण और स्वागतयोग्य रहा है।”

उन्होंने आगे कहा कि इस शुभ अवसर के लिए लाखों लोग वर्षों से प्रतीक्षा कर रहे थे। उनके अनुसार, यह केवल एक स्नान नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि का अनुभव था, जिसने उनके हृदय को शांति और आनंद से भर दिया।


अद्भुत अनुभव, दिव्य माहौल

क्रोएशिया से आए श्रद्धालु एंड्रो और उनकी पत्नी ने भी बसंत पंचमी के पावन अवसर पर संगम में स्नान किया। अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा, “यह अनुभव वास्तव में दिव्य और अद्भुत है। हमने अपने जीवन में कभी भी ऐसा कुछ नहीं देखा था। यहाँ की व्यवस्थाएँ और सुविधाएँ बेहतरीन हैं, और पूरा माहौल भक्तिमय और अलौकिक प्रतीत हो रहा है।”

एंड्रो ने आगे कहा कि इस पावन अवसर पर संगम में स्नान करना उनके लिए किसी सपने के सच होने जैसा है। उन्होंने भारतीय संस्कृति की भव्यता और धार्मिक परंपराओं की गहराई को महसूस किया और इसे अपने जीवन का अनमोल क्षण बताया।


जीवन का सबसे अनमोल दिन

ऑस्ट्रिया से आई श्रद्धालु अविगेल ने भी अपने आध्यात्मिक अनुभव को साझा किया। उन्होंने कहा, “यह अनुभव अविश्वसनीय और अद्भुत है। मैंने पहली बार भारतीय संस्कृति को इतने करीब से देखा और समझा है। इससे पहले मैंने कभी भी इतना भव्य आयोजन नहीं देखा था। यह सचमुच एक जीवन में एक बार मिलने वाला अनुभव है।”

इसी प्रकार, इटली से आए एक अन्य श्रद्धालु ने भी अपनी भावनाएँ व्यक्त करते हुए कहा, “यह मेरे जीवन में पहली बार हुआ है कि मैं इतनी भव्य आध्यात्मिक यात्रा पर आया हूँ। भारत की भूमि, इसकी संस्कृति और यहाँ के लोग सभी अत्यंत अद्भुत हैं। मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ कि मुझे इस अवसर का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिला। यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा अनुभव है।”


संस्कृति, आस्था और आध्यात्मिकता का संगम

बसंत पंचमी के अवसर पर विदेशी श्रद्धालुओं ने भारतीय संस्कृति में पूरी तरह घुल-मिलकर इसे अपनी आत्मा से अनुभव किया। उनकी आस्था, श्रद्धा और समर्पण यह दर्शाता है कि भारतीय संस्कृति की आध्यात्मिकता न केवल भारतीयों के लिए बल्कि संपूर्ण विश्व के लोगों के लिए प्रेरणादायक है।

महाकुंभ के इस दिव्य आयोजन ने विश्वभर से आए श्रद्धालुओं को भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रत्यक्ष अनुभव करने का अवसर दिया। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारत की आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक विरासत सीमाओं से परे जाकर पूरे विश्व को एक सूत्र में पिरोने का सामर्थ्य रखती है।

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