
कोर्ट ने एनेस्थीसिया, ऑक्सीजन, पोस्टऑपरेटिव देखरेख में लापरवाही को गंभीर पाया
वाराणसी (काशीवार्ता)। 7 वर्षीय बच्ची अनाया रिजवान की महमूरगंज स्थित एएसजी आई हॉस्पिटल में रेटिना सर्जरी के दौरान संदिग्ध मौत ने कानूनी और सामाजिक हलचल मचा दी है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, वाराणसी ने थाना भेलूपुर को एफआईआर दर्ज करने और निष्पक्ष विवेचना सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। अदालत ने अस्पताल द्वारा एनेस्थीसिया की खुराक, ऑक्सीजन सप्लाई, पोस्टऑपरेटिव देखरेख और समय पर रेसुसिटेशन न देने को गंभीर चिकित्सकीय लापरवाही माना। साथ ही ऑपरेशन चार्ट, आईसीयू रिकॉर्ड, ऑपरेशन नोट्स और सीसीटीवी फुटेज जानबूझकर उपलब्ध नहीं कराने पर तीखी टिप्पणी की। डॉक्टरों के बयानों में विरोधाभास पाए गए।

उक्त बातें आज कचहरी परिसर में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में दौरान अनाया के अभिभावक व उनके अधिवक्ताओं ने बताया कि पीड़ित परिवार ने न्याय की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी को स्वतंत्र सहयोगी के रूप में जांच में शामिल करने की मांग की है। मामले में डॉ. प्रत्युष रंजन के सोशल मीडिया पोस्टों को लेकर आफरीन रिजवान ने अलग परिवाद दाखिल किया। परिवाद में आरोप लगाया गया कि डॉक्टर ने अपने पोस्टों के माध्यम से पत्रकारों, अधिवक्ताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पुलिसकर्मियों और जनप्रतिनिधियों की छवि धूमिल करने और दबाव बनाने का प्रयास किया। साथ ही, डॉ. रंजन द्वारा सरकारी योजनाओं का प्रचार अपने निजी अस्पताल और व्यावसायिक गतिविधियों में किया जा रहा था, जिस पर उन्हें लीगल नोटिस भेजा गया। अब तक डॉक्टर की ओर से कोई जवाब नहीं मिला, जिससे मामला और संवेदनशील हो गया। पीड़ित परिवार ने कहा, उन्हें वाराणसी सांसद नरेंद्र मोदी और प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भरोसा है कि पुलिस निष्पक्ष विवेचना करेगी। परिवार ने इस कानूनी लड़ाई में अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी, राजेश त्रिवेदी, आशुतोष शुक्ला, राजकुमार तिवारी, आशुतोष सक्सेना, दीपक वर्मा और उनकी टीम के सहयोग की सराहना की। आफरीन बानो, मृतिका अनाया की माता व वादी मुकदमा ने कहा,आगे भी अधिवक्ताओं, पत्रकारों, समाज के प्रतिनिधियों और पुलिसकर्मियों का समर्थन मिलेगा और न्याय की अंतिम मंजिल तक संघर्ष जारी रहेगा।
