वाराणसी(काशीवार्ता)। पृथ्वी पर मां गंगा के अवतरण दिवस ‘गंगा दशहरा’ पर काशी के गंगा तट दशाश्वमेध घाट पर शाम साक्षात देवलोक उतर आया। दशाश्वमेध घाट पर गंगोत्री सेवा समिति के तत्वधान में जैसे ही देवी सुरेश्वरी, भगवती गंगे की धुन शुरू हुई श्रद्धालु मगन होकर झूम उठे।
लोहबान, कपूर और गुगुल की सुवास के बीच अर्चकों ने मां गंगा की आरती उतारी। रिद्धि-सिद्धि स्वरूपा कन्याओं ने चंवर डुलाया। मां गंगा का षोडशोपचार पूजन और 51 लीटर दूध से दुग्धाभिषेक कर भारत के लिए सुख और समृद्धि की कामना की गई। देश विदेश से आये श्रद्धालु और पर्यटकों को स्वच्छ गंगा, निर्मल गंगा व अविरल गंगा का संकल्प दिलाकर गंगा दशहरा का शुभारम्भ हुआ। मां गंगा की अष्टधातु की प्रतिमा की विशेष फूलों से सजावट हुई।
गंगोत्री सेवा समिति के संस्थापक अध्यक्ष पं. किशोरी रमण दुबे ‘बाबू महाराज’ के संयोजन में मां गंगा की महाआरती के दौरान सभी ने आत्मनिर्भर भारत की कामना की। पुण्य सलिला मां गंगा के तट पर सर्वप्रथम 11 वैदिक ब्राह्मण द्वारा पं. सीताराम पाठक के आचार्यत्व में मंगलाचरण के पश्चात गंगा की महाआरती की गई। गंगा दशहरा महोत्सव की अध्यक्षता चाणक्य पीठाधीश्वर परशुरामाचार्य ब्रह्मर्षि सुदर्शन शरण ने की।
मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद भारत कुश्ती सांग के अध्यक्ष संजय सिंह बबलू ने भी आरती की। गंगा की महाआरती के बाद दशाश्वमेध घाट पर भक्तजन संगीत की सरिता में सराबोर हो गए। सांस्कृतिक संध्या के संयोजक कन्हैया दुबे केडी की अगुवाई में डॉ. अमलेश शुक्ला, स्नेहा अवस्थी और अन्य कलाकारों ने भजनों की प्रस्तुति से मां गंगे का गुणगान किया।
कार्यक्रम का संचालन नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने किया, सभी को स्वच्छता की शपथ दिलाई। आयोजन में मुख्य रूप से गंगोत्री सेवा समिति के संरक्षक गंगेश्वर धर दुबे, कन्हैया त्रिपाठी, शांतिलाल जैन, सचिव पं. दिनेश शंकर दुबे, संकठा प्रसाद, संजय यादव उपस्थित रहे।
सुबह खास पूजन-अर्चन हुआ
समिति की ओर से पौराणिक केदारघाट पर भी पं. संदीप कुमार दुबे के आचार्यत्व में मां गंगा की महाआरती का आयोजन किया गया। इससे पहले गंगा दशहरा पर सुबह मां गंगा के खास पूजन-अर्चन के बाद भक्तों में प्रसाद वितरित किया गया था।