नवरात्र में घर-घर में सजा देवी दरबार,पहले दिन माता शैलपुत्री के दर्शन को उमड़े भक्त, गूंजी जय-जयकार

वाराणसी- (काशीवार्ता) -शारदीय नवरात्रि के पहले दिन, काशी के प्राचीन शैलपुत्री मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ा। यह मंदिर वाराणसी के अलईपुर में वरुणा नदी के तट पर स्थित है और माता शैलपुत्री यहां सौम्य रूप में विराजमान हैं। भक्त देर रात से ही मां के दर्शन के लिए कतारबद्ध हो गए थे। मंगला आरती के बाद जैसे ही मंदिर के कपाट खुले, पूरा परिसर माता के जयकारों से गूंज उठा। भक्त माता की एक झलक पाने के लिए आतुर थे, और उनके स्वागत में मंदिर परिसर भक्तिमय हो गया।


यहां आने वाली सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन की कामना करती हैं। वे माता शैलपुत्री को चुनरी, गुड़हल के फूल और नारियल अर्पित करती हैं। मान्यता है कि माता शैलपुत्री की महाआरती में शामिल होने से दांपत्य जीवन की सभी समस्याएं दूर होती हैं। मंदिर पुजारी के अनुसार, माता नवरात्रि के दिनों में भक्तों को साक्षात दर्शन देती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।शैलपुत्री मंदिर का ऐतिहासिक महत्व मंदिर के पुजारी के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण शैल राज हिमालय ने किया था। काशी खंड में इस मंदिर का उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि जब भगवान शिव माता शैलपुत्री से विवाह के बाद काशी आए, तो शैल राज हिमालय को यह चिंता हुई कि शिव जी के पास काशी में क्या होगा। काशी आकर उन्होंने सोने की नगरी देखी, जिससे उन्हें ग्लानि हुई और वे वरुणा नदी के तट पर विश्राम करने लगे। उसी स्थान पर उन्होंने इस मंदिर का निर्माण एक ही दिन में करवाया।
मिलने पर शैलपुत्री और भगवान शिव दोनों इस मंदिर को देखने आए, और तभी से माता शैलपुत्री का यहां वास हो गया। तब से यह मंदिर काशी के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में शामिल हो गया है, जहां हर नवरात्रि में हजारों भक्त दर्शन करने आते हैं।

TOP

You cannot copy content of this page