डेंगू का दंश : स्वास्थ्य विभाग आंकड़ों की बाजीगरी में मस्त

प्रशासनिक दावे हवा-हवाई, नहीं हो रहा एंटी लार्वा का छिड़काव

वाराणसी। वैश्विक महामारी की विभीषिका का दंश झेल चुकी जनता को डेंगू के दंश अब उतना खतरनाक नहीं लगता है जितना कोविड के पूर्व था। यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग न जाने किस दबाव में डेंगू पॉजिटिव मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव में जारी कर रहा है। चिकित्सक परेशान हैं कि वायरल फीवर कोरोना की तरह अपना रंग बदल रहा है। मौसम के साथ ही मच्छरों की भरमार होने व वायरल फीवर के मरीजों की बढ़ती संख्या चिंता का कारण बनी हुई है। बावजूद मृत्यु दर न के बराबर होने के चलते डेंगू की जानकारी नहीं हो पा रही है। अस्पताल सूत्रों की मानें तो यदि 10 मरीजों का एलाइजा टेस्ट पॉजिटिव आ रहा है तो एक या दो मरीजों की ही रिपोर्ट पॉजिटिव दी जा रही है। कहीं भी एंटी लार्वा का छिड़काव नहीं हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग व नगर निगम केवल आंकड़ों की बाजीगरी में मस्त है। प्रशासनिक दावों को देखा जाए तो शहर का कोई कोना ऐसा नहीं बचा है जहां एंटी लार्वा का छिड़काव न हुआ हो। सरकारी अस्पतालों में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं। जबकि इसकी जमीनी हकीकत यह है कि एंटीलार्वा का छिड़काव कुछ क्षेत्रों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर इलाकों में एंटीलार्वा का छिड़काव नहीं हो रहा है। सरकारी चिकित्सालयों में मात्र कोरम पूरा कर इतिश्री कर ली जा रही है। ऐसा ही हाल धर्म की नगरी काशी के पं.दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय का है। जहां कहने को तो मरीजों के लिए सभी चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध हैं लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करती है।

लेखाकार के पद पर तैनात कर्मी रहता है नशे में

पं.दीनदयाल अस्पताल में तैनात लेखाकार ज्यादातर समय शराब के नशे में धुत नजर आता है। इस बात की जानकारी सीएमएस डॉ. दिग्विजय सिंह से लेकर सभी कर्मचारियों को है। बावजूद कोई भी इसके खिलाफ आवाज उठाने से हिचकता है। लेखाकार के शराब के नशे में धुत रहने के कारण महिलाकर्मी अपने कार्य के लिए भी उसके पास जाने से कतराती हैं।

इलेक्ट्रिशियन के नाम पर है कई कर्मचारियों की तैनाती

अस्पताल में व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद रखने हेतु नियमित कर्मचारियों, संविदा कर्मियों के अलावा प्राइवेट कंपनियों के माध्यम से भी कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है। बावजूद इसके चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से दवाओं का वितरण, ओटी टेक्नीशियन का कार्य, मेडिकल रिम्बर्समेंट के साथ ही सभी वित्तीय कार्य कराया जाता है। संविदा कर्मी के ऊपर कार्य का ज्यादा दबाव होने के कारण कम्पनी के माध्यम से रखे गए कर्मचारी से कार्य करवाता है। कम्पनी के माध्यम से तैनात कर्मचारी अस्पताल का कार्य कम निजी कार्य करने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं। सूत्रों की मानें तो कर्मचारी उपलब्ध कराने वाली कंपनी किसी मंत्री या स्वास्घ्य सचिव की होती है।

परिजन परेशान कर्मचारी बेलगाम

पं.दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय में मरीजों को ओपीडी में देखने तक चिकित्सक पूरी ईमानदारी दिखाते हैं। इसके पश्चात जब मरीज को अस्पताल में भर्ती कर दिया जाता है तो मरीज भगवान भरोसे हो जाता है। क्योंकि * अस्पताल में भर्ती के उपरांत कुछ चिकित्सकों को छोड़ – दिया जाए तो ज्यादातर चिकित्सक शाम को वार्ड में जाना – मुनासिब नहीं समझते हैं। जिसके चलते मरीज व उनके – परिजन परेशान रहते हैं और कर्मचारी बेलगाम होकर मरीजों के परिजनों से दुर्व्यवहार करते नजर आते हैं।

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