भारत में दीपोत्सव का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, और इस वर्ष धनतेरस से इसकी शुरुआत 29 अक्तूबर को हो रही है। विद्वानों द्वारा की गई तिथियों की गणना के अनुसार, इस बार दिवाली दो अलग-अलग दिनों में मनाई जा सकती है – 31 अक्तूबर या 1 नवंबर। इस असमंजस की स्थिति के बावजूद, धनतेरस निश्चित रूप से 29 अक्तूबर को ही मनाई जाएगी। इसके साथ ही, दीपोत्सव की शुरुआत मंगलवार से हो जाएगी।
30 अक्तूबर को नरक चतुर्दशी या रूप चौदस, जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है, मनाई जाएगी। इसके बाद 31 अक्तूबर को अमावस्या की रात्रि में दिवाली का पर्व आएगा। जो लोग उदया तिथि को मानते हैं, वे दिवाली 1 नवंबर को मनाएंगे, क्योंकि उस दिन प्रात:काल से शाम 6:17 बजे तक अमावस्या रहेगी।
धर्माचार्यों के अनुसार, दोनों मान्यताएं परंपरा के अनुरूप हैं। जो लोग अमावस्या में दान, स्नान और पूजन करना चाहते हैं, वे इसे 1 नवंबर को कर सकते हैं। वहीं, अधिकतर विद्वानों का मानना है कि 31 अक्तूबर को दिवाली मनाना तर्कसंगत है। दिवाली के बाद 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा होगी, और फिर 3 नवंबर को भाई दूज मनाया जाएगा, जिसके साथ दीपोत्सव का समापन हो जाएगा। इस तरह, इस बार दीपोत्सव का पर्व पांच के स्थान पर छह दिनों का होगा।
धनतेरस का शुभ मुहूर्त: शाम 6:31 से 8:13 बजे तक
धनतेरस का दिन संपत्ति, समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। पंडित विनोद त्यागी के अनुसार, इस वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 अक्तूबर की सुबह 10:31 बजे से प्रारंभ होकर 30 अक्तूबर की दोपहर 01:15 बजे तक रहेगी। इसलिए, धनतेरस का पर्व 29 अक्तूबर को ही मनाया जाएगा।
इस दिन पूजा-अर्चना का शुभ मुहूर्त शाम 6:31 बजे से 8:13 बजे तक का है। यह स्थिर लग्न वृष एवं लाभ के चौघड़िया मुहूर्त में आता है, जो कि पूजा के लिए शुभ माना जाता है। इस समयकाल में मां लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की पूजा विशेष फलदायी होती है। लोग इस दिन सोने-चांदी के आभूषण, बर्तन, और नई वस्तुओं की खरीदारी करके अपने घर में समृद्धि का स्वागत करते हैं।