कम बजट में भी घूमा जा सकता है डलहौजी, जानें यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल

जब भी किसी सुहानी जगह पर घूमने की बात आती हैं, तो हिमाचल प्रदेश का नाम जरूर सामने आता हैं जहां एक से बढ़कर एक पर्यटन स्थल हैं। आज इस कड़ी में हम बात करने जा रहे हैं डलहौजी की जो हिमाचल प्रदेश की गोद में बसा एक छोटा सा शहर हैं। यह यहां आने वाले पर्यटकों के लिए स्वर्ग के सामान है। देश के भीड़ वाले शहरों से दूर डलहौजी एक बहुत ही विचित्र शहर है जो एक प्रदूषण से मुक्त वातावरण प्रदान करने वाला शहर है साथ ही आपको प्रकृति की गोद में होने का भी महसूस करवाता है। अगर आप किसी ऐसी जगह की तलाश में हैं जो प्राकृतिक सुंदरता और प्राचीन आकर्षणों के लिए प्रसिद्ध हो, तो आप घूमने के लिए डलहौजी आ सकते हैं। यहां आप अच्छी प्लानिंग के साथ कम बजट में घूमने की चाहत भी पूरी कर सकते हैं। हम आपको डलहौजी के प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में-

खाज्जिअर

खाज्जिअर डलहौज़ी के पास स्थित एक छोटा सा शहर है जिसको ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ या ‘भारत का स्विटज़रलैंड’ के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थान की खूबसूरती हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है। 6,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित खाज्जिअर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सुरम्य परिदृश्य की वजह से डलहौजी के पास घूमने की सबसे अच्छी जगहों में से एक हैं। खाज्जिअर एक छोटी झील के साथ एक पठार है जो पर्यटकों की सबसे पसंदिता जगहों में से एक है। इस जगह होने वाले साहसिक खेल ज़ोरबिंग, ट्रेकिंग आदि पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।

पंचपुला

पंचपुला हरे देवदार के पेड़ों के आवरण से घिरा एक खूबसूरत झरना है, जो डलहौजी के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। पंचपुला वो जगह है, जहां आप पांच धाराओं को एक साथ देख सकते हैं। आपको बता दें, ये जगह अपने खूबसूरत नजारों की वजह से जानी जाती है। पंचपुला के पास एक महान क्रांतिकारी सरदार अजीत सिंह की याद में एक समाधि बनाई गई है, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली थी। मानसून के मौसम में ये जगह और भी खूसबूरत लगने लगती है।

चामुंडा देवी मंदिर

डलहौजी में माता काली का एक प्राचीन मंदिर भी बना हुआ है, जिसको लोग चामुंडा देवी मंदिर के नाम से भी जानते हैं। काली जी को समर्पित यह चामुंडा देवी मंदिर समर्पित एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र है। यहां पर्यटकों को कई सुंदर दृश्य भी देखने को मिल जाते हैं। कहा जाता है कि देवी अंबिका ने चंदा और मुंडा नाम के राक्षसों का वध किया था। साथ ही लाल कपड़े में मंदिर में देवी को लपेटकर रखा जाता है, यहां पर मूर्ति छूने नहीं दिया जाता है। हिंदू धर्म को मानने वाले लोग माता चामुंडा देवी के दर्शन करने के लिए आते हैं। चामुंडा देवी मंदिर के अंदर माता काली की बड़ी से प्रतिमा स्थापित हैं। मंदिर के बाहर एक झील भी बनी हुई हैं, जिसमें लोग बोटिंग आदि भी करते हैं।

सतधारा झरना

सतधारा झरना चंबा घाटी में स्थित है,जो बर्फ से ढके पहाड़ों और ताज़े देवदार के पेड़ों के शानदार दृश्यों से घिरा हुआ है। ‘सतधारा’ का मतलब होता है सात झरने, इस झरने का नाम सातधारा सात खूबसूरत झरनों के जल के एक साथ मिलने की वजह से रखा गया है। इन झरनों का पानी समुद्र से 2036 मीटर ऊपर एक बिंदु पर मिलता है। यह जगह उन लोगों के लिए एक खास है जो शहर की भीड़-भाड़ वाली जिंदगी से दूर जाकर शांति का अनुभव करना चाहते हैं। सतधारा फाल्स अपने औषधीय गुणों की वजह से भी जानी जाती है क्योंकि यहां के पानी में अभ्रक पाया जाता है, जिसमें त्वचा के रोग ठीक करने के गुण होते हैं।

सच दर्रा

डलहौजी का यह दर्रा जो कि पंजाल पर्वत श्रृंखला से करीब 4500 मीटर की ऊंचाई पर हैं, जो डलहौजी शहर को और चंबा और पांगी घाटियों से मिलाता हैं। यदि आप इस तरह को देखना चाहते हैं तो आपको डलहौजी से 150 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी। जो लोग एडवेंचर करना पसंद है, वह पर्यटक अक्सर इस जगह पर आते रहते हैं। आप यहाँ पर कार आदि को बुक करके जा सकते हैं। यदि आप कार के बजाय बाइक पर इस जगह पर घूमने के लिए आते हैं तो यहां पर आपको काफी मजा आयेगा। इसके अलावा जो लोग ट्रैकिंग करना चाहते हैं, वह भी इस जगह पर जा सकते हैं। बहुत से पर्यटक ट्रैकिंग करने के लिए भी आते हैं। आप अपने दोस्त, रिश्तेदार और परिवार के साथ इस दर्रा में घूमने के लिए जा सकते हैं।

माल रोड

डलहौजी में माल रोड घूमने का अपना अलग ही मजा है। आप अपने पार्टनर के साथ विशेष रूप से शाम के समय माल रोड घूमने की प्लानिंग कर सकते हैं। शाम के समय माल रोड बाजारों से बेहद जगमगाता है। साथ ही दोपहर में सेंट जॉन्स चर्च और सेंट फ्रांसिस चर्च जा सकते हैं। माल रोड जाने के बाद आप ढाबे पर खाना खाने के लिए रुक सकते हैं।

सुभाष बावली

यह एक ऐसा स्थान है जो स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रखा गया। यहाँ पर एक प्राकृतिक और खूबसूरत झरना भी है जो हिमनदी धारा में बहता हुआ लोगो को अपनी ओर आकर्षित करता है। सुभाष बावली अपने दूर-दूर तक फैले बर्फ के पहाड़ों दृश्यों और सुंदरता और खूबसूरत प्रकृतिक नजारों के लिए प्रसिद्ध है। सन 1937 में जब सुभाष चंद्र बोस का स्वास्थ्य खराब हुआ था तो वह इस जगह पर आए थे और यहां पर वो करीब 7 महीने तक रुके थे। इसके बाद उनका स्वास्थ्य ठीक हो गया था।

बकरोटा हिल्स

बकरोटा हिल्स जिसे “अपर बकरोटा” के नाम से भी जाना जाता है, यह डलहौज़ी का सबसे ऊँचा इलाका है और यह बकरोटा वॉक नाम की एक सड़क का सर्किल है, जो खजियार की ओर जाती है। भले ही इस जगह पर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बहुत कुछ नहीं है लेकिन यहाँ टहलना और चारों तरफ के आकर्षक दृश्यों को देखना पर्यटकों की आँखों को बेहद आनंद देता है। आपको बता दें कि यह क्षेत्र चारों तरफ से देवदार के पेड़ों और हरी-भरी पहाड़ियों से घिरा हुआ है।

डैनकुंड पीक

डैनकुंड पीक को सिंगिंग हिल के नाम से भी जाना जाता है, जो डलहौजी में समुद्र तल से 2755 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। आपको बता दें, डलहौजी में सबसे ऊंचा स्थान होने की वजह से यहां से आप घाटियों और पहाड़ों के अद्भुत दृश्य देख सकते हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए ये जगह स्वर्ग की तरह है। डैनकुंड अपनी खूबसूरत बर्फ से ढकी चोटियों और हरे-भरे वातावरण के लिए जाना जाता है।

गंजी पहाड़ी

गंजी पहाड़ी पठानकोट रोड पर डलहौजी शहर से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक सुंदर पहाड़ी है। इस पहाड़ का नाम गंजी पहाड़ी इसकी खास विशेषता से लिया गया था क्योंकि इस पहाड़ी पर वनस्पतियों की पूर्ण अनुपस्थिति है। गंजी का मतलब होता है गंजापन। डलहौजी के पास स्थित होने की वजह से यह पहाड़ी एक पसंदीदा पिकनिक स्थल स्थल है। सर्दियों के दौरान यह इलाका मोटी बर्फ से ढक जाता है जो मनोरम द्रिह्या प्रस्तुत करता है।

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