भाईजी का जीवन: धर्म, लोक और राष्ट्र कल्याण को समर्पित – सीएम योगी

गोरखपुर, 29 सितंबर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्व प्रसिद्ध धार्मिक पत्रिका “कल्याण” के आदि संपादक हनुमान प्रसाद पोद्दार ‘भाईजी’ की 132वीं जयंती के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि भाईजी का जीवन धर्म, लोक और राष्ट्र कल्याण को समर्पित था। उन्होंने समाज के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन किया और नागरिक कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करने को उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि बताया।

गीता वाटिका में आयोजित इस श्रद्धार्चन सभा में मुख्यमंत्री ने कहा कि भाईजी ने गोरखपुर को अपनी साहित्यिक साधना का केंद्र बनाया और 1927 में “कल्याण” पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया। यह पत्रिका हर सनातनी घर तक पहुंची और सदगृहस्थ जीवन की मार्गदर्शिका बनी। भाईजी की साहित्य साधना में धर्म, देश और लोक कल्याण का भाव प्रमुख था, और उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें प्रताड़ित किया और उनकी पत्रिका को जब्त किया, लेकिन उन्होंने साहित्य के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन को बल दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भाईजी ने संस्कारयुक्त परिवार की स्थापना के लिए अपनी लेखनी को धार दी। आजादी के बाद भारत के निर्माण के लिए उन्होंने मार्गदर्शन किया और गीता प्रेस को सनातन साहित्य का सबसे बड़ा केंद्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गीता प्रेस के शताब्दी महोत्सव का आयोजन और उसे गांधी शांति पुरस्कार मिलना भाईजी की साहित्यिक साधना का ही परिणाम है।

सीएम योगी ने कहा कि महानता के गुणों के कारण ही भाईजी को आज भी याद किया जाता है। उनका भौतिक देह 53 वर्ष पूर्व नहीं रहा, फिर भी उनकी साहित्य साधना और समाज कल्याण के क्षेत्र में योगदान अविस्मरणीय है। उनके कृतित्व के आधार पर हम उन्हें सदैव याद करेंगे।

मुख्यमंत्री ने समाज में लोक कल्याण के भाव के कमजोर होने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में जब हर हाथ में स्मार्टफोन है, साहित्यिक साधना कमजोर होती दिखाई दे रही है। लोक कल्याण का भाव सरकार में है, लेकिन समाज में इसका कमजोर होना चिंताजनक है। भाईजी का जीवन हमें प्रेरित करता है कि हम दूसरों की सेवा करें और चुपचाप मदद करें, बिना किसी दिखावे के।

अंत में सीएम योगी ने कहा कि भारत को 2047 तक विकसित देश बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को पूरा करने के लिए हमें अपने-अपने कार्यक्षेत्र में ईमानदारी से दायित्व निर्वहन करना होगा। इससे भाईजी की आत्मा को भी संतुष्टि मिलेगी। उन्होंने भाईजी और उनके सहयोगी राधा बाबा को दो शरीर और एक आत्मा बताया।

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