13 अस्पतालों में जनऔषधि सेंटर बंद, कर्मचारियों के समक्ष बेरोजगारी की समस्या
वाराणसी (काशीवार्ता)। प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना पीएम मोदी द्वारा सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाइयां उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रारम्भ की गई थी। जिसके लिए टेंडर के माध्यम से अस्पतालों का चयन कर मेडिकल स्टोर भी खोला गया। परन्तु सरकार की इस योजना पर ग्रहण लग गया। जनपद के 13 प्रमुख सरकारी अस्पतालों में संचालित जनऔषधि केंद्र अचानक बंद हो गए हैं। इसका सीधा असर मरीजों और कर्मचारियों पर पड़ा है।
झांसी की संस्था को मिला टेंडर, फिर भी प्रक्रिया अधूरी
जनऔषधि परियोजना के संचालन के लिए झांसी की एक संस्था को टेंडर दिया गया, लेकिन कार्यादेश मिलने के बाद भी अब तक एग्रीमेंट की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। इससे न केवल मरीजों को सस्ती दवाइयां मिलना बंद हो गई हैं, बल्कि लगभग 40 कर्मचारियों के लिए बेरोजगारी की स्थिति पैदा हो गई है।
पुराना लाइसेंस नहीं हुआ रद्द, नया जारी होने में अड़चनें
परियोजना के संचालन में एक और बड़ी समस्या यह है कि पुराने जनऔषधि संचालक का लाइसेंस अभी तक रद्द नहीं किया गया है। इसके कारण नए लाइसेंस जारी होने में देरी हो रही है। यह प्रशासनिक लापरवाही मरीजों और कर्मचारियों दोनों के लिए परेशानी का कारण बनी है।
मरीजों की बढ़ती परेशानियां
सस्ती दवाओं के लिए जनऔषधि केंद्रों पर निर्भर रहने वाले मरीजों को अब बाजार से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। इससे उनका इलाज खर्चीला हो गया है। मरीजों और उनके परिवारों ने इस मुद्दे पर जल्द समाधान की मांग की है। जनऔषधि केंद्रों में काम करने वाले लगभग 40 कर्मचारियों के सामने बेरोजगारी की समस्या खड़ी हो गई है।