
सिरप कांड के बाद नए सिरे से शुरू हुई खेमेंबंदी, आने वाले दिनों में हो सकती कोई बड़ी घटना
विशेष प्रतिनिधि
वाराणसी/लखनऊ (काशीवार्ता)। लगभग आठ वर्ष पूर्व भाजपा के प्रदेश की सत्ता में आने के बाद पूर्वांचल के बाहुबलियों में जो भाईचारा स्थापित हुआ था अब ख़त्म होता नजर आ रहा है। तमाम तरह की सार्वजनिक बयानबाजी हो रही है। हालांकि, पूर्व में ज्यादातर बाहुबलियों ने परोक्ष या अपरोक्ष रूप से सत्ता का दामन थाम लिया था। इसके पीछे पुलिस का डर एक प्रमुख वजह थी। लेकिन हालिया घटनाएँ बताती हैं कि जल्द ही यह युद्ध विराम टूट सकता है। शायद इसके पीछे वजह है हितों का टकराव। पहले सिरप कांड ने दूरियाँ बनायी अब जिला पंचायत चुनाव को लेकर दो बाहुबली आमने-सामने हैं।
बताते हैं कि पूर्वांचल के एक प्रमुख जिले की जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर दो बाहुबलियों की निगाह है। जिसमें बनारस के बाहुबली अपनी पुत्री को तो दूसरे बाहुबली एक बार इस कुर्सी पर काबिज होना चाहते हैं। वहीं, इनके मीडिया में दिए बयानों से अंडरवर्ल्ड में हलचल मच गई है। वे कहते हैं उनके गृह जनपद में वे जिसे चाहेंगें वही चुनाव लड़ पाएगा। जिसे ब्लॉक प्रमुख बनवाना था बनवा चुका हूँ। दरअसल, वे जिस ब्लॉक प्रमुख की बात कर रहे हैं वे जबकि दूसरे बाहुबली दूसरे बाहुबली के रिश्तेदार हैं।
यह भी उल्लेखनीय है कि सिरप कांड को लेकर इनमे से एक बाहुबली के ऊपर जाँच एजेंसियों का शिकंजा कसता जा रहा है।उसके कई करीबियों को पुलिस अब तक गिरफ्तार कर चुकी है।इस मामले में ईडी की इंट्री हो चुकी है। हालांकि, वे इस मामले में शामिल अभियुक्तों से किसी भी व्यापारिक रिश्ते से इंकार कर चुके हैं। लेकिन ईडी मामले की तह तक जाना चाहती है। फिलहाल, इस सब को लेकर बाहुबलियों में खटास इतनी बढ़ गई है कि अब देख लेने तक की बातें होने लगी है। यही नहीं, निजी बातचीत में अपशब्दों का भी प्रयोग हो रहा है। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि जौनपुर, मिर्जापुर और चंदौली के बाहुबली एक तरफ हो गए हैं। वहीं, दूसरे खेमे में बनारस, अयोध्या और लखनऊ के बाहुबली बताए जा रहे हैं। सूत्रों की माने तो बाहुबलियों का नए सिरे से हो रहा ध्रुवीकरण आने वाले में समय में नया गुल खिला सकता है।
