लोक कल्याण और आत्मशुद्धि का पवित्र आह्वान

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को अपने मंत्रिमंडल के साथ प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान कर विश्व कल्याण की कामना की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि संगम स्नान भारतीय संस्कृति, धर्म, और समाज कल्याण का प्रतीक है। यह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मिक शांति और लोककल्याण का माध्यम है। महाकुंभ के इस आयोजन में विश्वभर से करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने संगम को भारतीय संस्कृति की दिव्यता और सार्वभौमिकता का प्रतीक बताया।
संगम स्नान में शामिल पूरा मंत्रिमंडल
त्रिवेणी संगम, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम होता है, मोक्ष प्राप्ति और आत्मा की शुद्धि का केंद्र माना जाता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक समेत वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी सहित 54 मंत्रियों ने संगम स्नान किया। इससे पूर्व मंत्रिमंडल ने अरैल स्थित त्रिवेणी संकुल में पूजा-अर्चना की और फिर मंत्रोच्चार के साथ संगम में स्नान संपन्न किया।
धर्म और संस्कृति का वैश्विक संदेश
महाकुंभ केवल आस्था का पर्व नहीं, बल्कि सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति के मूल्यों का वैश्विक संदेश है। मुख्यमंत्री ने कहा कि संगम स्नान आत्मिक शुद्धि और सामाजिक समर्पण का प्रतीक है। शास्त्रों के अनुसार, संगम स्नान से सभी पापों का नाश और मोक्ष प्राप्ति होती है। पूरे मंत्रिमंडल ने इस आध्यात्मिक अनुभव के साथ संगम में डुबकी लगाई और विश्व को शांति, समृद्धि, और समर्पण का संदेश दिया।
दूसरी बार संगम स्नान में शामिल मंत्रिमंडल
यह दूसरी बार है जब योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रिमंडल के साथ संगम स्नान किया। इससे पूर्व 2019 में भी मुख्यमंत्री और उनकी सरकार ने कुम्भ के दौरान संगम में स्नान किया था। उस समय अखाड़ा परिषद के साधु-संत भी इस पवित्र आयोजन का हिस्सा बने थे।
संगम किनारे कैबिनेट बैठक का आयोजन
संगम स्नान के पूर्व योगी सरकार ने त्रिवेणी संकुल में कैबिनेट बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में आगामी महाकुंभ 2025 के लिए तैयारियों की समीक्षा की गई। बैठक स्थल को मेला क्षेत्र से दूर रखने का निर्णय इसलिए लिया गया ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
महाकुंभ का उद्देश्य और महत्व
महाकुंभ भारतीय संस्कृति की दिव्यता का प्रतीक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आयोजन केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि समाज में शांति, समृद्धि और आत्मशुद्धि का संदेश देता है। संगम स्नान समाज को धर्म और संस्कृति की शक्ति से जीवन में शुद्धता और समर्पण लाने की प्रेरणा देता है।