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वाराणसी(काशीवार्ता)। पर्यावरण को बचाने की दृष्टि से वैकल्पिक ईंधन के कई स्रोतों में से एक हैं इलेक्ट्रिक वाहन। आजकल ई-वाहनों की संख्या काफी बढ़ रही है। कई नामी कंपनियां भी इस दौड़ में आ चुकी हैं। इसी कड़ी में बनारस में ई-रिक्शा का चलन भी काफी तेज है। जहां एक ओर ये ई-रिक्शा पर्यावरण को बचाने का काम कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ इनका आतंक भी काफी बढ़ रहा है।
वाराणसी कमिश्नररेट में बेलगाम दौड़ रहे ई-रिक्शा अव्यवस्था के साथ जाम की बड़ी परेशानी का कारण बन रहे हैं। अपने हिसाब से रूट बनाकर दौड़ रहे ई-रिक्शा चालकों से शहर की गलियों तक में जाम को बड़ा रूप दे दिया है। इसके अलावा बाजारों में मनमर्जी से रिक्शा रोककर खड़े होने के कारण भी अव्यवस्था सिस्टम पर हावी है। शहर में जाम की बड़े परेशानी की वजह बने ई-रिक्शा पर आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस की लगाम भी ढीली है।
इस कारण अवैध ई-रिक्शा की दौड़ बढ़ती जा रही है। हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगनी तो दूर की बात है, ज्यादातर ई-रिक्शा के न तो रजिस्ट्रेशन हैं और न चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस। बनारस की संकरी सड़कों पर हजारों ई-रिक्शा अवैध रूप से दौड़कर जाम की वजह बने हैं। मनमाने तरीके से दौड़ रहे ई-रिक्शा पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी आरटीऔ और ट्रैफिक पुलिस पर है, लेकिन फजीहत से बचने के लिए दोनों ही विभाग अवैध ई-रिक्शाओं के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर बैकफुट हैं।
18 साल से कम उम्र के चालकों के हाथ में हैंडल
अधिकांश ई-रिक्शा प्रशासन के रहमोकरम पर बिना रजिस्ट्रेशन के ही चल रहे हैं। कई ऐसे ई रिक्शा चालक हैं, जो 18 साल से कम उम्र के हैं। उनके पास ड्राइविंग लाइसेंस न रहने के बावजूद हैंडल उनके हाथ में हैं। वहीं, कई जगह पर ये हादसों का कारण भी बन रहे हैं। बनारस में कारोबार करने वालों की की मानें तो कई बार इसकी शिकायत भी प्रशासन से की गई, लेकिन किसी ने उनकी एक भी न सुनी। इसकी वजह से जाम की समस्या से स्थानीय लोगों के साथ ही राहगीरों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।