
मृतका वर्षा शर्मा की फाइल फोटो
महिला चिकित्सक की लापरवाही से हुई थी भाजपा नेता के भांजी की मृत्यु
काशीवार्ता ने जून-2023 में ‘महिला चिकित्सक की गलती से महिला कोमा में’ खबर को प्रमुखता से उठाया था
वाराणसी (काशीवार्ता)। महमूरगंज स्थित उपहार नर्सिंग होम में हुई लापरवाही मामले में आज भेलूपुर थाने में विभिन्न आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। जिसका जांच अधिकारी सब-इंस्पेक्टर रोहित त्रिपाठी को बनाया गया है। मामले की पैरवी कर रहे मृतका वर्षा शर्मा के मामा व भाजपा नेता अधिवक्ता राजेश त्रिवेदी व शशांक शेखर त्रिपाठी ने बताया कि उपहार नर्सिंग होम की संचालिका डॉ.विभा मिश्रा, उनकी पुत्री डॉ.इशिता अवस्थी व एनेस्थेटिक डॉ.निशांत मिश्रा पर गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया है। कहा कि अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने धारा 173 (4) बीएनएसएस के तहत समुचित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर विस्तृत विवेचना करने का निर्देश दिया था। ‘काशीवार्ता’ ने इस मामले को जून 2023 के अंक में प्रमुखता से उजागर करते हुए लिखा था ‘महिला चिकित्सक की गलती से महिला कोमा में’। अधिवक्ता राजेश त्रिवेदी व शशांक शेखर त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि उपहार नर्सिंग होम में दो एमबीबीएस चिकित्सकों व एनेस्थेटिस्ट की 24×7 उपलब्धता नहीं थी। कहा कि अस्पताल परिसर के महत्वपूर्ण स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगाए गए थे। एम्बुलेंस सुविधा का अभाव, उपचार शुल्क का कोई पंजीकृत रिकॉर्ड नहीं और न ही पक्की रसीद उपलब्ध कराई गई। स्टाफ की ड्यूटी नियमित रूप से रोस्टरवाइज नहीं लगाई जाती है।
दर्ज मुकदमें में आजीवन कारावास का प्राविधान

भाजपा नेता व अधिवक्ता राजेश त्रिवेदी

अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी
अधिवक्ता राजेश त्रिवेदी व शशांक शेखर त्रिपाठी ने बताया कि जिन धाराओं में मुकदमा पंजीकृत हुआ है उसमें आजीवन कारावास तक कि सजा का प्राविधान है
- भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 420 के तहत सात साल तक की जेल और जुर्माने की सजा का प्राविधान है। इस धारा के तहत मामला दर्ज कराने के लिए, पीड़ित की शिकायत पर पुलिस जांच करती है. इसके बाद, आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाता है।
- भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 304 के तहत अगर कोई व्यक्ति जान-बूझकर किसी ऐसे काम को करता है जिससे मौत होने की संभावना है, तो इस धारा के तहत आजीवन कारावास या दस साल तक की जेल के साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
- भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 120बी के तहत अगर कोई व्यक्ति किसी अपराध को करने की साजिश में शामिल होता है, तो उसे मुख्य आरोपी के बराबर सजा हो सकती है।
- भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 201 के तहत अपराध के साक्ष्य को गायब करने या अपराधी को छिपाने के लिए झूठी सूचना देने के अपराध में अपराधी माना जाएगा। इस धारा के तहत अपराध के लिए, सज़ा की अवधि, अपराध की प्रकृति पर निर्भर करती है।