पुलिस व दलालों के गठजोड़ से आये दिन लुट रहे व्यापारी

रुपयों से भरा झोला लेकर घर के अंदर प्रवेश करता युवक

कभी भेलूपुर तो कभी सारनाथ, हर बार एक ही कहानी दोहरायी जा रही

वाराणसी (राजेश राय)। आप शहर के किसी थाने पर चले जाइए, बाहर लिखा मिलेगा दलालों से सावधान या दलालों का प्रवेश वर्जित। लेकिन यह स्लोगन सिर्फ स्लोगन तक हो सीमित रह गया है। हकीकत में हर थाने पर दलालों का आना जाना बेरोकटोक जारी है। दरअसल, ये दलाल अब पुलिस वालों की जरूरत बन गये हैं। कहीं ये राजनीतिक दल के कार्यकर्ता है तो कहीं तथाकथित पत्रकार हैं। आमतौर पर इनकी उपस्थिति पर कोई एतराज नहीं करता। यही समस्या की असली जड़ है। ये दलाल पुलिस को बताते हैं, कहां गलत काम हो रहा है। उसके बाद शुरू होता है खेल। ये पुलिस वालों के साथ दबिश देते हैं। फिर मौके से बरामद लूट के माल का बंटवारा होता है। पुलिस भी खुश और दलाल भी। हाल की तीन प्रमुख घटनाओं पर नजर डालें तो पायेंगे कि व्यापारियों को लूटने में पुलिस और दलाल के इस गठजोड़ की प्रमुख भूमिका रही है। पिछले साल भेलूपुर के बैजनथा इलाके में गुजरात की एक फर्म के ऑफिस में रात को पुलिस पहुंचती है और कर्मचारी को हवाला कारोबार का डर दिखा कर एक करोड़ चालीस लाख लेकर निकल जाती है। लूट के माल के बंटवारे में हुई किचकिच के बाद यह मामला खुला। फिर फर्म के मालिक ने हिम्मत दिखा कर एफआइआर दर्ज करायी। इसके बाद इंस्पेक्टर सहित सात पुलिस वालों के खिलाफ डकैती का मामला दर्ज हुआ। तफतीश में सामने आया सारनाथ के अजीत मिश्रा उर्फ ‘गुरुजी’ इसके सूत्रधार थे। अपने को का नेता बताने वाले इस कथित ‘गुरुजी’ की पुलिस महकमे में अच्छी पैठ थी। दूसरा मामला कुछ माह पहले का है जब तत्कालीन नदेसर चौकी इंचार्ज सूर्य प्रकाश पाण्डेय रामनगर क्षेत्र में लूटपाट करने पहुंच गया। उसने रोडवेज की बस रुकवायी और एक आभूषण कर्मचारी से 41 लाख के गहने यह कह कर लूट लिए कि यह चोरी के हैं। अन्दाज एकदम फिल्मी था। बस पहले से ही दरोगा के कुछ सहयोगी बैठे थे, जिनकी नकली तलाशी में असलहे बरामद हुए। मामला तब खुला जब आभूषण कारोबारी ने हिम्मत कर पुलिस को जानकारी दी। सीसीटीवी से दरोगा और उसके गिरोह के लोग चिन्हित हुए। पता चला कि दलालों ने दरोगा को आभूषण कारोबारी का पता दिया था। सारनाथ क्षेत्र के रुद्रा अपार्टमेंट में कुछ दिन पूर्व घटी घटना भी सामने न आती अगर सीसीटीवी फुटेज वायरल न होता। पता चला कि चौबेपुर क्षेत्र का एक कथित पत्रकार इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता के संपर्क में था। उसने अपार्टमेंट में जुआ होने की मुखबिरी की। इसके बाद इंस्पेक्टर और दलाल ने दबिश दी और 41 लाख बैग में रख कर चलते बने। हालांकि, दलालों से सांठ-गांठ कर पुलिस की लूटपाट का खेल बरसों से चल रहा है। मगर, पहले इक्का दुक्का मामले ही प्रकाश में आते है। कुछ साल पूर्व इंस्पेक्टर अश्वनी चतुवेर्दी का अपराधियों के साथ उठबैठ का मामला भी तब सामने आया, जब मामला मीडिया ने उछाला। भेलूपुर और रामनगर की पुलिस डकैती का मामला भी तब खुला जब भुक्तभोगीयों ने हिम्मत दिखायी और पुलिस को जानकारी दी। वैसे, सारनाथ में 41 लाख की लूट में अभी तक किसी भी व्यापारी ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज नहीं करायी है। संभवतः कानूनी पचड़े के डर से। जबकि, जुआ खेलना इतना बड़ा अपराध नहीं, जितना बड़ा पुलिस ने माल लूट कर किया है। अगर व्यापारी सामने नहीं आयेंगे तो भ्रष्ट पुलिस वाले और दलाल एक बार फिर बच जाएंगे। इस काम में ईमानदार पुलिस अधिकारियों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। उन्हें व्यापारियों को आश्वस्त करना होगा कि उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं होगी। अन्यथा अपने ही महकमे में फैले भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा पाना मुश्किल होगा।

जांच अधिकारी छुट्टी पर, लौटने के बाद होगी कार्रवाई

सारनाथ लूट कांड के जांच अधिकारी आईपीएस टी सरवन छुट्टी पर हैं। उनके कल लौटने के बाद इस मामले में प्रगति की उम्मीद है। काशीवार्ता से उन्होंने कहा कि फि लहाल वे इस मसले पर कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक जाँच के बाद तय होगा कि इस मामले की जाँच के लिए एफआइआर जरूरी है या नहीं।

आसान नहीं होगी सारनाथ लूटकांड की लीपापोती

सारनाथ में व्यापारियों से 41 लाख की लूट की लीपापोती आसान नहीं होगी। क्योंकि यह मामला प्रदेश स्तर का हो गया है। अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर दिया है। मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति रही है। अगर कोई व्यापारी रिपोर्ट लिखाने सामने नहीं आता है तो पुलिस को खुद रिपोर्ट लिखनी होगी क्योकि यह अपराध समाज के प्रति हुआ है। इस मामले में मुखबिर और दलाल कथित पत्रकार का पकड़ा जाना आवश्यक है। वही सारे राज उगलेगा। इसके लिए इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता की मोबाइल कॉल डीटेल और लोकेशन की प्रमुख भूमिका होगी। साथ ही अपार्टमेंट के सभी सीसीटीवी डेटा को भी सुरक्षित रखना होगा। उस फ्लैट की भी छानबीन होनी चाहिए, जहां यह घटना हुई है।

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