सारनाथ लूटकांड के एक हफ्ते बाद भी एफआइआर दर्ज नहीं
वाराणसी (राजेश राय)। सारनाथ थाना क्षेत्र के एक अपार्टमेंट में एक हफ़्ते पहले हुई लूट के बाद भी अब तक एफआइआर दर्ज न होने पर यह आशंका बलवती होती जा रही है कि पुलिस इस मामले की लीपापोती में जुटी है। मजे की बात है कि अब तक अपार्टमेंट का सीसीटीवी फुटेज भी कब्जे में नहीं लिया गया है और न ही रुपयों की बरामदगी के लिये आरोपी पुलिस इंस्पेक्टर और दलाल के यहाँ दबिश दी गई। इससे सबूतों के नष्ट होने का खतरा है। सीसीटीवी के डीवीआर में डेटा सुरक्षित रखने की एक मियाद होती है। जिसके बाद उसकी रिकवरी मुश्किल होती है। कुल मिलाकर पुलिस की कार्यप्रणाली से पूरा मामला रहस्यमय हो गया है।एक हफ़्ते पहले जब यह मामला प्रकाश में आया तो पुलिस कमिश्नर ने तत्कालीन सारनाथ इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता को निलंबित कर जाँच एडीसीपी टी सरवन को सौंप दी। हालांकि, टी सरवन छुट्टी पर थे। इसमें तीन चार दिन बीत गये।जब वे छुट्टी से वापस लौटे तो इस मामले में चुप्पी साध ली। ‘काशीवार्ता’ ने उनके सरकारी फोन पर संपर्क कर वस्तुस्थिति जानने का प्रयास किया, परन्तु फोन नहीं उठा। जबकि मामला न सिर्फ 41 लाख की लूट से जुड़ा है, बल्कि पुलिस की साख का भी सवाल है। कायदे से इस मामले में गैम्बलिंग एक्ट, लूट, रंगदारी, सबूत नष्ट करने, सरकारी पद का दुरपयोग करने और भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत एफआइआर दर्ज होनी चाहिए थी। इसके बाद विवेचना अधिकारी की नियुक्ति व जांच आगे बढ़नी चाहिए थी। लेकिन, अब तक एफआइआर दर्ज न होना समझ से परे लगता है। जबकि प्रथम दृष्ट्या अपराध साबित होने पर दोषी इंस्पेक्टर को निलंबित किया जा चुका है। इस बीच पता चला है की चौबेपुर निवासी दलाल अपना मोबाइल फोन बंद कर फरार हो गया है। यह भी पता चला है कि इंस्पेक्टर के कहने पर वह रुपयों को ठिकाने लगाने में जुटा है।
अपने ‘साथी’ तक क्यों नहीं पहुंच सकी पुलिस!
पुलिस चाहे तो इंस्पेक्टर और दलाल के फोन कॉल डिटेल और लोकेशन निकाल कर इस घटना की तह तक पहुंच सकती है। जांच का विषय है कि इंस्पेक्टर जब दलाल के साथ पहाड़िया स्थित रुद्रा अपार्टमेंट पहुंचा तो क्या उसने रोजनामचे में या थाने में अपनी रवानगी दर्ज की थी। उस रात अपार्टमेंट में किस किस गार्ड की ड्यूटी थी, क्या उनके बयान लिए गए? ये सारे सवाल फिलहाल अनुत्तरित है। इसके पीछे क्या वजह है, यह पुलिस महकमे में बताने वाला कोई नहीं है। जानकारी के तौर पर बता दें कि गत सात नवंबर को सारनाथ के तत्कालीन इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता ने एक दलाल को साथ लेकर रुद्रा अपार्टमेंट के एक फ्लैट में धाड़ मारी थी। मौके पर कुछ लोग जुआ खेलते पकड़े गये। इसके बाद दलाल और इंस्पेक्टर डरा धमका कर मौके से बरामद 41 लाख रुपये एक बैग में भरकर चलते बने। जब इस कांड का सीसीटीवी फुटेज वायरल हुआ तब पुलिस की कारस्तानी का भांडा फूटा। वरना, मामला प्रकाश में भी नहीं आता।
आदेश पर दर्ज होगी एफआइआर : थानाध्यक्ष
पहड़िया के रुद्रा अपार्टमेंट में हुए लूटकांड के बारे में एसओ सारनाथ विवेक त्रिपाठी ने ‘काशीवार्ता’ को बताया कि इस मामले की जांच उच्चाधिकारी कर रहे हैं उनकी अनुमति के बाद ही एफआइआर दर्ज करने के बारे में फैसला होगा। फिलहाल वे कुछ भी बताने में असमर्थ हैं। एक दूसरे पुलिस वाले ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जुए के अड्डे से बरामद माल को अगर तत्कालीन इंस्पेक्टर ने जीडी में दिखा दिया होता तो वे भी बच जाते और पुलिस महकमे की किरकिरी भी न होती।