इस साल 2024 में आषाढ़ पूर्णिमा का व्रत 20 जुलाई दिन शनिवार को रखा जाएगा, जबकि आषाढ़ पूर्णिमा का स्नान और दान 21 जुलाई रविवार को होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार आषाढ़ पूर्णिमा की तिथि 20 जुलाई को शाम 05:59 से शुरु होगी और अगले दिन 21 जुलाई रविवार को शाम 03:46 तक रहेगी।आषाढ़ पूर्णिमा के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। इस दिन आप कुछ आसान उपायों से अपने पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं और माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। आषाढ़ पूर्णिमा के इन उपायों से आपकी तिजोरी भर सकती है, धन और दौलत में बढ़ोत्तरी हो सकती है। आइए जानते हैं आषाढ़ पूर्णिमा के दिन किन उपायों को करना चाहिए।
आषाढ़ पूर्णिमा के ये 3 उपाय चमका देंगे किस्मत!
मां लक्ष्मी से जुड़ा उपाय- आषाढ़ पूर्णिमा के दिन सबसे पहले उपास का संकल्प करें और प्रदोष काल में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करें. मां लक्ष्मी को पूजा के समय कमलगट्टा, कमल के फूल, लाल गुलाब, गुढ़हल का फूल, पीली कौड़ियां आदि चढ़ानी चाहिए। ये सभी माता लक्ष्मी की प्रिय चीजें हैं। साथ ही मां लक्ष्मी को मखाने की खीर, बताशे या फिर दूध से बनी सफेद मिठाई का भोग लगाना चाहिए। फिर श्रीसूक्त या कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें. मां लक्ष्मी से जुड़े इस उपायों को करने से आपके घर में धन, संपत्ति और वैभव में बढ़ोत्तरी हो सकती है।
पितरों से जुड़ा उपाय- आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त या सूर्योदय के बाद उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर नदी में स्नान न कर पाएं तो फिर घर पर ही स्नान कर लें। इसके बाद साफ कपड़े पहनें। अब अपने पितरों का स्मरण करते हुए उनका जल, काले तिल और कुश से तर्पण करें। कुश के आगे के भाग के पोरों से तर्पण देने से वह जल पितरों को प्राप्त होता है जिससे वे तृप्त होते हैं। तर्पण के समय आप- हे पितृगण! आपको जल से तृप्त कर रहा हूं, आप सभी इससे तृप्त हों, प्रसन्न हों। यह कह सकते हैं।
तर्पण के अलावा अपने पितरों के लिए घर पर ही भोजन बनाएं। फिर उसमें से कुछ हिस्सा गाय, कौआ, कुत्ता आदि को खिला दें। ऐसा कहा जाता है कि इससे वह भोजन पितरों को प्राप्त होता है और इससे वे तृप्त होते हैं. इसके अलावा, आप इस दिन पिंडदान, दान आदि कर सकते हैं। इन उपायों को करने से नाराज पितर आपसे भी प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को सुखी जीवन, धन, धान्य, संतान सुख का आशीर्वाद देते हैं।
चंद्रमा से जुड़ा उपाय- पूर्णिमा का संबंध चंद्रमा से होता है. इस रात चंद्रमा बहुत चमकीला होता है.आषाढ़ पूर्णिमा व्रत की रात चंद्रमा को अर्घ्य दें। कच्चे दूध में पानी और सफेद फूल से मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि चंद्र देव की पूजा करने से कुंडली में चंद्र दोष दूर होता है। इसके साथ ही चंद्रमा के बीज मंत्र का जप करें।
पूर्णिमा के दिन किसी गरीब या ब्राह्मण को सफेद चीजों जैसे चावल, चीनी, सफेद वस्त्र, सफेद फूल, मोती, चांदी आदि का दान करना चाहिए। चंद्रमा के शुभ प्रभाव से जीवन में सुख और समृद्धि आती है और साथ ही मन शांत और स्थिर रहता है।