वाराणसी(काशीवार्ता)। अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद अपनी पार्टी के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव परिणामों में उनको बड़ा झटका लगा है। 2014 व 2019 में जहां उनकी पार्टी उनके सहित दो लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी, वहीं इस बार एक सीट उनके हाथ से फिसल गई। यही नहीं खुद अनुप्रिया भी बड़ी मशक्कत के बाद सीट बचा सकीं। बनारस से लेकर आसपास के कई लोकसभा क्षेत्रों की विधानसभाओं में भी अपना दल (एस) की जमीन खिसक गई। उनके परम्परागत वोट समाजवादी पार्टी में शिफ्ट हुए हैं। यही कारण है कि अनुप्रिया डर गई हैं।
भर्तियों में जिस आरक्षण को लेकर उन्होंने राज्य की योगी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है उसके पीछे अपने वोट बैंक को साधना तो है ही, साथ ही योगी हटाओ मुहिम का एक हिस्सा भी माना जा रहा है। 10 सालों से एनडीए में रहते हुए उन्होंने कभी इस तरह की चिट्ठी नहीं लिखी थी, लेकिन अब उन्हें लगने लगा है कि सपा उनके विरासत को कब्जाने की ओर अग्रसर है। ऐसे में अभी से हमलावर नहीं हुए तो 2027 में उनके हाथ खाली रह सकते हैं। साथ ही जिस एनडीए के साथ मिलकर सत्ता की चांदी काट रही हैं उससे भी हाथ धोना पड़ सकता है। लोकसभा चुनाव में सपा ने 10 कुर्मी उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें 8 ने जीत हासिल की।
गुरुवार को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अनुप्रिया ने प्रतियोगी परीक्षाओं में ओबीसी, एससी/एसटी वर्ग के लिए आरक्षित पदों पर नॉट फाउंड सूटेबल की प्रक्रिया बार-बार अपनाते हुए उन पदों को आरक्षित घोषित कर दिये जाने की बात कही थी। उन्होंने मांग की थी कि सरकार साक्षात्कार आधारित न्युक्ति प्रक्रिया में ओबीसी, एससी/एसटी के लिए आरक्षित पदों को इन्हीं अभ्यर्थियों से भरा जाना अनिवार्य करें। अनुप्रिया के इस पत्र के तुरंत बाद नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुवेर्दी की ओर से अनुप्रिया को भेजे गए पत्र में स्पष्ट तौर पर बताया गया कि आरक्षित वर्ग के पदों को किसी भी सूरत में दूसरे वर्गों से नहीं भरा जा सकता है।
पत्र में उत्तर प्रदेश लोकसभा आयोग, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग व उच्च शिक्षा विभाग के नियमों का हवाला भी दिया गया है। यही नहीं पीजीआई के निदेशक प्रो. आरके धीमान ने भी कहा कि सांसद महोदय का कथन असत्य है। ऐसी स्थिति में एक बात स्पष्ट हो गई है कि अनुप्रिया ने पूरी प्रक्रिया को जाने-समझे बगैर पत्र जारी कर केवल राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास किया है।