अन्नपूर्णा मठ-मंदिर को जर्जर बताने पर हंगामा
वाराणसी की खोवा गली में 6 अगस्त को मकान गिरने के बाद नगर निगम ने जर्जर मकानों के खिलाफ अभियान चलाया है। इसी अभियान के क्रम में नगर निगम में श्रीकाशी विश्वनाथ धाम से सटे अन्नपूर्णा मठ-मंदिर पर भी नोटिस चस्पा कर दिया और 24 घंटे में खाली करने का अल्टीमेटम दे दिया। अन्नपूर्णा मंदिर और अन्नक्षेत्र को खाली करने की नोटिस चिपकते ही हंगामा शुरू हो गया। छह घंटे तक चली खींचतान के बाद प्रशासन बैकफुट पर आ गया और विवाद से बचने के लिए नगर निगम ने नोटिस हटवा दी।
मंदिर के महंत शंकर पुरी के अनुसार बिना किसी सर्वे के नोटिस जारी किया गया, जो गलत है। विश्वनाथ धाम से सटे हुए अन्नपूर्णा मठ-मंदिर के मुख्य द्वारा पर 9 अगस्त को नगर निगम ने एक नोटिस चस्पा कर दी। नोटिस के अनुसार यह भवन जर्जर है और इसे 24 घंटे के अंदर खाली कर दिया जाए। उप नगर आयुक्त की तरफ से जारी इस नोटिस में पूर्व महंत स्वर्गीय रामेश्वर पुरी और मौजूदा महंत शंकर पुरी को संबोधित किया गया है। नोटिस में लिखा है- भवन संख्या डी 9/1 जर्जर अवस्था में है। जो कभी भी गिर सकता है। इससे जान माल की हानि हो सकती है। इसके अलावा इस मामले में 14 जून 2021 को भी आप को नोटिस जारी किया जा चुका है। अत: आप 24 घंटे के अंदर भवन खाली कर दें। अन्यथा भवन गिरने पर उससे होने वाली जानमाल की हानि का जिम्मेदार भवन मालिक होगा। नोटिस चस्पा होने के बाद हंगामा शुरू हो गया। महंत शंकर पुरी ने आला अधिकारियों से इस मामले में बात की। इस बीच 6 घंटे गुजर गए। इसके बाद नगर निगम ने नोटिस हटा लिया। महंत शंकर पुरी ने बताया- अन्नक्षेत्र का निर्माण 1998 में कराया था। अन्नपूर्णा मंदिर प्राचीन है। इसकी मरम्मत का कार्य साल 1990 में कराया गया था। मठ, मंदिर और अन्नक्षेत्र की बिल्डिंग में कहीं कोई दरार भी नहीं है। बिना जांच के नोटिस कैसे जारी हुई। इसके लिए उच्चाधिकारियों से बात की जाएगी। महंत ने बताया कि मठ, मंदिर और अन्नक्षेत्र की बिल्डिंग सही है। लेकिन भवन संख्या डी 9/1 के बगल वाला मकान और विश्वनाथ गली में मकान नंबर 11/21 पूरी तरह जर्जर है पर आज तक किसी भी प्रकार की नोटिस नहीं दी गई। वह भी मठ की संपत्ति है।