वाराणसी(काशीवार्ता)।वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर पितृ विसर्जन के अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। पितृ पक्ष के अंतिम दिन, जिसे महालया अमावस्या के रूप में जाना जाता है, तर्पण और पिंडदान करने के लिए देशभर से लोग इस पावन घाट पर पहुंचे। हिंदू धर्म के अनुसार, पितरों को तर्पण और पिंडदान अर्पित कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है। वाराणसी, जिसे मोक्ष की नगरी माना जाता है, इस अवसर पर एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में उभरता है।
दशाश्वमेध घाट पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटने लगी थी। कई लोग अपने पूर्वजों के लिए गंगा में स्नान करके विधिवत तर्पण करते नजर आए। घाट पर पुजारियों द्वारा तर्पण विधि संपन्न कराई जा रही थी, और इस दौरान गंगा के किनारे मंत्रों की गूंज सुनाई दे रही थी।
कोविड-19 महामारी के बाद यह पहला मौका था जब इतनी बड़ी संख्या में लोग बिना किसी पाबंदी के इस धार्मिक अवसर पर भाग ले रहे थे। प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए थे ताकि तर्पण और पिंडदान की प्रक्रिया निर्विघ्न रूप से संपन्न हो सके। घाट पर भीड़ नियंत्रण के लिए पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी और विभिन्न एनजीओ द्वारा स्वच्छता बनाए रखने के प्रयास किए जा रहे थे।
इस मौके पर वाराणसी के घाटों की पवित्रता और धार्मिक महत्व ने एक बार फिर लोगों के दिलों में इस पावन नगरी की विशेषता को जीवंत कर दिया।