हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद जांच ठंडे बस्ते में
बुलेट प्रूफ फॉर्च्यूनर से उतरते ही मारी थी ताबड़तोड़ गोली
विशेष प्रतिनिधि
वाराणसी(काशीवार्ता)। वह तारीख थी 30 सितंबर वर्ष 2019 । सुबह का करीब दस साढ़े दस बजा होगा। सदर तहसील के अंदर एक बुलेटप्रूफ फॉर्च्यूनर कार आकर रुकती है। उसमें से ठेकेदार नितेश सिंह उर्फ़ बबलू सिंह उतरते हैं। वह गाड़ी का दरवाजा बंद ही कर रहे थे कि तभी मोटरसाइकिल सवार दो शूटर आते हैं और ताबड़तोड़ गोलियों चलने लगती है। पलक झपकते ही बबलू सिंह ढेर हो जाते हैं। बबलू सारनाथ के मवइयाँ का रहने वाला था। घटना को इतने आनन-फानन में अंजाम दिया गया कि बबलू सिंह को अपनी लाइसेंस पिस्टल निकालने का मौका भी नहीं मिला। मौत का इत्मीनान होने के बाद पल्सर सवार शूटर भाग निकले। हालाँकि, एक दो लोगों ने उन्हें पकड़ने का प्रयास किया, पर वे हाथ नहीं आये। आगामी तीस सितंबर को इस हत्याकांड को छह साल हो जायेंगे। इन छह सालों में पुलिस न तो हत्यारों का पता लगा पायी न षड्यंत्रकारियों का। इस दौरान बबलू के परिजन अधिकारियों से लेकर हाईकोर्ट तक का चक्कर काटते रहे। हाईकोर्ट ने यह जरूर किया कि जाँच जिÞला पुलिस से लेकर सीबी सीआईडी को सौंप दी। मगर, सीबी सीआईडी की जाँच पिछले छह साल में एक इंच भी आगे नहीं बढ़ सकी। हालाँकि, अण्डरवर्ल्ड में हत्यारों और षड्यंत्रकारियों के नाम-पता सबको मालूम है। कुछ साल पहले लखनऊ पुलिस ने एक शूटर गिरधारी विश्वकर्मा को मारने का दावा किया था।अगर वह वास्तव में बबलू हत्याकांड में शामिल था तो फिर उसका दूसरा साथी कहाँ गया। यह सारे सवाल अभी तक अनुत्तरित हैं। वैसे सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके अनुसार बबलू सिंह की हत्या में सीधे तौर पर जौनपुर के एक बाहुबली का हाथ है। जिसका बबलू सिंह के यहां आना जाना था। बताते हैं किसी और से अदावत का बदला बबलू सिंह से लिया गया। रही मामले की जांच में देरी की तो इसमें भाजपा के एक बाहुबली विधायक की प्रमुख भूमिका है। उधर, बबलू सिंह के परिजनों के पास अब सुप्रीम कोर्ट जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।
सीबी सीआईडी आॅफिस में सीजेएम की चिट्ठी गायब हो जा रही : ऋषभ सिंह
बबलू सिंह के पुत्र ऋषभ सिंह ने काशीवार्ता को बताया कि वाराणसी सीजीएम द्वारा सीबी सीआईडी को भेजी गई आधा दर्जन चिठ्ठियाँ गायब हो गयीं हैं। इसके पीछे कोई गहरी साजिÞश है।हाईकोर्ट ने 22 दिसंबर 2022 को सीबी सीआईडी जाँच का आदेश दिया था जिसे वाराणसी सीजीएम के मार्फ़त सीबी सीआईडी को भेजा गया था। एक बार सीबी सीआईडी के पैरोकार को भी चिट्ठी थमायी गई थी। ऋषभ ने बताया कि अब वे अगले महीने पुन: हाईकोर्ट से जाँच में लापरवाही से संबंधित याचिका दायर करेंगे।