प्रधानमंत्री जन धन योजना के 10 वर्ष: वित्तीय समावेशन की दिशा में एक क्रांति

काशीवार्ता न्यूज़।प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) ने भारत के गरीबों के जीवन में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाया है, जिससे औपचारिक बैंकिंग सेवाओं तक सबकी पहुंच सुनिश्चित हुई है। अगस्त 2014 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य बैंकिंग सुविधा से वंचित हर परिवार को बैंकिंग सेवाएं प्रदान करना है, जिससे वे वित्तीय सुरक्षा और सशक्तिकरण का अनुभव कर सकें।

पीएमजेडीवाई ने वित्तीय समावेशन को एक नई दिशा दी है, जिससे लाखों लोगों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जोड़ा गया है। इसके माध्यम से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, कोविड-19 वित्तीय सहायता, और पीएम-किसान और मनरेगा जैसी योजनाओं को सरलता से लागू किया जा सका है। इस योजना ने न केवल बिचौलियों की भूमिका को समाप्त किया है, बल्कि गरीबों तक सीधे धन पहुंचाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

इस योजना ने लोगों को बचत और प्रेषण की सुविधा प्रदान कर उन्हें सूदखोर साहूकारों के शोषण से भी मुक्ति दिलाई है। मार्च 2014 और मार्च 2020 के बीच खोले गए खातों में से हर दूसरे खाते का संबंध पीएमजेडीवाई से है, जो इसकी सफलता को दर्शाता है। कोविड-19 महामारी के दौरान, 200 मिलियन से अधिक महिला खाताधारकों को वित्तीय सहायता मिली, जिससे संकट प्रबंधन में इस योजना की महत्वपूर्ण भूमिका स्पष्ट होती है।

प्रधानमंत्री जन धन योजना ने देश के कमजोर और वंचित वर्गों के लिए एक सशक्तिकरण का माध्यम बनकर, वित्तीय समावेशन को व्यापक रूप से सफल किया है। इसका असर सिर्फ आंकड़ों में ही नहीं, बल्कि समाज के सबसे निचले तबके तक पहुंची वित्तीय सुरक्षा और सशक्तिकरण के रूप में भी देखा जा सकता है।

TOP

You cannot copy content of this page