पितृ पक्ष आज से शुरू, श्राद्ध कार्यक्रमों की शुरुआत

वाराणसी(काशीवार्ता)।आज से पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है और 2 अक्तूबर को पितरों की विदाई के साथ समाप्त होगा। 3 अक्तूबर से शारदीय नवरात्र प्रारंभ होगा। पितृ पक्ष के दौरान 30 सितंबर तक श्राद्ध कर्म चलेंगे। 2 अक्तूबर को सर्व पितृ अमावस्या होगी, जब उन लोगों को अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने का अवसर मिलता है जिनकी मृत्यु तिथि अज्ञात है या किसी कारणवश वे निर्धारित तिथि पर श्राद्ध नहीं कर पाए।

पिंडदान का महत्व

पिंडदान एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जिसे पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। अपने व्यस्त जीवन से समय निकालकर पूर्वजों को नमन करना आत्मिक उन्नति का मार्ग है। पंडित धीरेन्द्र पांडेय और एसएस नागपाल के अनुसार, श्राद्ध, तर्पण, और पिंडदान से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

पितरों की उपस्थिति की मान्यता

मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों की आत्मा धरती पर आती है। जिस तिथि को उनके पूर्वजों का निधन हुआ होता है, उस दिन श्राद्ध कर्म करके ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। इसके साथ ही गाय, कौवे, कुत्ते और चींटियों को भी भोजन दिया जाता है ताकि पितरों की आत्मा को संतोष मिले।

श्राद्ध के लिए उपयुक्त समय

श्राद्ध करने के लिए उचित समय सुबह 11:36 से 12:25, दोपहर 12:25 से 1:14, और दोपहर 1:14 से 3:41 तक निर्धारित है।

श्राद्ध की तिथियां

पितृ पक्ष की प्रमुख श्राद्ध तिथियां इस प्रकार हैं:

  • प्रतिपदा श्राद्ध: 18 सितंबर
  • द्वितीया श्राद्ध: 19 सितंबर
  • तृतीया श्राद्ध: 20 सितंबर
  • चतुर्थी श्राद्ध: 21 सितंबर
  • पंचमी श्राद्ध: 22 सितंबर
  • षष्ठी और सप्तमी श्राद्ध: 23 सितंबर
  • अष्टमी श्राद्ध: 24 सितंबर
  • नवमी श्राद्ध: 25 सितंबर
  • दशमी श्राद्ध: 26 सितंबर
  • एकादशी श्राद्ध: 27 सितंबर
  • द्वादशी श्राद्ध: 29 सितंबर
  • त्रयोदशी श्राद्ध: 30 सितंबर
  • चतुर्दशी श्राद्ध: 1 अक्टूबर
  • सर्व पितृ अमावस्या: 2 अक्टूबर

पौधरोपण का महत्व

पंडितो के अनुसार, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन के अलावा पौधों का रोपण भी महत्वपूर्ण होता है। पौधे न केवल पर्यावरण की रक्षा करते हैं, बल्कि इनके पूजन से पितर भी संतुष्ट होते हैं। बेलपत्र के पौधे लगाने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और आर्थिक समस्याएं कम होती हैं। तुलसी का पौधा लगाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और मन को भी शांति प्राप्त होती है।

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