सहूलियत बनी आफत, ट्रैफिक प्लान का पालन नहीं, ई-रिक्शा चालकों ने किराए का अपना रेट बनाया, दूसरे वाहनों को नहीं देते साइड

वाराणसी(काशीवार्ता)। सहूलियत कैसे आफत बन जाती है देखना है तो काशी चले आइए। पर्यावरण सुरक्षित रखने के लिए बनारस में ई-रिक्शा का चलन शुरू हुआ। अब यही ई-रिक्शा ट्रैफिक व्यवस्था के लिए आफत बन गए हैं।

दरअसल, शहर में ई-रिक्शा की संख्या में लगातार वृद्धि होने से जाम की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। रोजाना व्यस्त बाजारों में ई-रिक्शा की वजह से जाम लग रहा है। लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बनारस में कहीं भी ट्रैफिक प्लान का पालन होता नजर नहीं आता।

पूरा शहर जाम की जद में रहता है। जाम की वजह से लोगों का समय भी बर्बाद होता है। चालक अपने ई-रिक्शा को बेतरतीब ढंग से चलाते हैं। दूसरे वाहनों को निकलने के लिए साइड नहीं देते, जो जाम का कारण बनता है। जाम लगने पर दूर-दूर तक दोनों साइड ई-रिक्शा ही नजर आते हैं। याद होगा, शहर में ई-रिक्शा के संचालन के लिए ट्रैफिक प्लान बनाने की बात कही गई थी।

ई-रिक्शा को चिह्नित कर उनके रूट निर्धारित करने के लिए अधिकारियों ने कहा था। लेकिन, यह प्लान ग्राउंड पर ही नहीं उतरा। ई-रिक्शा चालक रोज मनमानी कर रहे हैं। शहर में जाम का मुख्य कारण होने के साथ-साथ ई-रिक्शा चालकों ने मनमानी करते हुए किराए का अपना रेट बना लिया है। मनमाना किराया लिए जाने की वजह से आए दिन लोगों का ई-रिक्शा चालकों से विवाद होता है।

रोडवेज बस अड्डा, गोलगड्डा बस अड्डा, सिटी रेलवे स्टेशन के सामने, लक्सा, नई सड़क, सोनारपुरा पर ई-रिक्शा चालकों की मनमानी के चलते बुरा हाल रहता है। बस अड्डे पर कोई भी बस आने पर ई-रिक्शा संचालक उसे घेर लेते हैं। यात्रियों को बस में चढ़ने और उतरने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। आपाधापी में कई बार यात्रियों की जेब तक कट जाती है।

बढ़ती जा रही मनमानी

प्रह्लादघाट के दुकानदार सुरेश सिंह का कहना है कि ई-रिक्शा चालकों की मनमानी लगातार बढ़ती जा रही है। पुलिस भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती, जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है। विशेश्वरगंज के फल विक्रेता रमेश सोनकर का कहना है कि ई-रिक्शा चालक बेतरतीब तरीके से सड़क पर चलते और खड़े हो जाते हैं, जिससे जाम लग जाता है। अधिवक्ता मनीष राय का कहना है कि ई-रिक्शा की वजह से काशी में दिनभर जाम की स्थिति रहती है। भीड़ में आए दिन जेब कटने और मोबाइल चोरी की घटनाएं सामने आती रहती हैं।

दावे व हकीकत में अंतर

पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा था कि अपंजीकृत ई-रिक्शा का संचालन बंद कराया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह भी दावा किया गया था कि पंजीकृत ई-रिक्शा चालकों को यातायात के नियमों का पालन करने और जनता की परेशानी का कारण न बनने के लिए जागरूक किया जाएगा, ऐसा भी नहीं हुआ। कहा गया था, नियमों का पालन न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, इस दावे की भी हवा निकल गई।

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